निकाय चुनाव पर हाईकोर्ट का फैसला: बिना OBC आरक्षण के होंगे चुनाव, समय पर कराने का भी आदेश
ये आदेश जज देवेंद्र कुमार उपाध्याय और सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने दिया। जनहित याचिका रायबरेली के सामाजिक कार्यकर्ता वैभव पांडेय ने लगाई थी।;
UP Municipal Election High Court लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने UP सरकार को बड़ा झटका देते हुए, निकाय चुनावों के लिए 5 दिसंबर को जारी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही न्यायालय ने राज्य सरकार को निकाय चुनावों को बिना ओबीसी आरक्षण के ही कराने के आदेश दिए हैं। लखनऊ हाईकोर्ट की बेच ने कहा कि ट्रिपल टेस्ट के बिना कोई आरक्षण नहीं तय होगा। समय पर चुनाव कराए जाएं।
आपको बता दें कि हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने UP के स्थानीय निकाय चुनाव के ओबीसी आरक्षण के मामले की सुनवाई 24 दिसंबर शनिवार को पूरी कर ली थी। कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित कर लिया था।
ये आदेश जज देवेंद्र कुमार उपाध्याय और सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने दिया। जनहित याचिका रायबरेली के सामाजिक कार्यकर्ता वैभव पांडेय ने लगाई थी।
राज्य कमीशन बनाता है। जो अन्य पिछड़ा वर्ग की स्थिति पर अपनी रिपोर्ट देता है। इसके आधार पर आरक्षण लागू होता है। आरक्षण देने के लिए ट्रिपल टेस्ट यानी 3 स्तर पर मानक रखे जाते हैं। इसे ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला कहा गया है।
अब इस टेस्ट में देखना होगा कि राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग की आर्थिक-शैक्षणिक स्थिति कैसी है? उनको आरक्षण देने की जरूरत है या नहीं? उनको आरक्षण दिया जा सकता है या नहीं?
UP सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही और मुख्य स्थाई अधिवक्ता अभिनव नारायन त्रिवेदी ने सरकार का पक्ष रखा था। दलील दी गई कि निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण एक प्रकार का राजनीतिक आरक्षण है।
पहले मामले की सुनवाई के समय राज्य सरकार का कहना था कि मांगे गए सारे जवाब प्रति शपथपत्र में दाखिल कर दिए गए हैं। इस पर याचियों के वकीलों ने आपत्ति करते हुए सरकार से विस्तृत जवाब की गुजारिश की‚ जिसे कोर्ट ने नहीं माना।
राज्य सरकार ने दाखिल किए गए अपने हलफनामे में कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव मामले में 2017 में हुए अन्य पिछड़ा वर्ग के सर्वे को आरक्षण का आधार माना जाए। सरकार ने कहा कि इसी सर्वे को ट्रिपल टेस्ट माना जाए। यह भी कहा कि ट्रांसजेंडर्स को चुनाव में आरक्षण नहीं दिया जा सकता है।