सूबे की सरकार ‘ऋणं कृत्वा घृतं पिवेत्’ वाले दर्शन पर चल रही है -अनुपम मिश्रा

The state government is following the philosophy of 'Rinam Kritva Ghritam Pivet' - Anupam Mishra

Update: 2024-02-04 10:14 GMT

'यावेत जीवेत सुखम जीवेत, ऋणं कृत्वा घृतं पिवेत्'अर्थात जब तक जियो सुख से जियो, ऋण लेकर भी घी पियो। महर्षि चर्वाक ने इस श्लोक में भौतिकवाद की जो शिक्षा दी अपने समय में यह श्लोक भले ही लोगों को अधिक प्रभावित नहीं कर पाया हो लेकिन वर्तमान समय में सूबे की स्थिति कुछ इसी तरह की है।-अनुपम मिश्रा

राज्यों के वित्तीय घाटे के प्रबंधन को लेकर RBI द्वारा जारी की गई रिपोर्ट को आधार बनाते हुए आज राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय सचिव अनुपम मिश्रा ने उत्तर प्रदेश सरकार की आर्थिक स्थिति को चिंताजनक व भयभीत करने वाला बताते हुए कहा कि वित्तीय घाटे के प्रबंधन को लेकर प्रदेश सरकार की हालत गंभीर एवं चिंताजनक है क्योंकि प्रदेश की भाजपा शासित सरकार ने वर्ष 2017 में जब से सत्ता सँभाली है तब से वित्तीय घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है जिसकी भरपाई प्रदेश सरकार बाहरी स्रोतों से उधार लेकर करने की कोशिश कर रही है जो कि वित्तीय घाटे को पाटने का सबसे ख़राब तरीक़ा माना जाता है क्योंकि पूर्व में राज्य वित्तीय घाटे को पाटने के लिए एन.एस.एस.एफ. यानी नैशनल सोशल सिक्योरिटी फंड से उधार लेते थे और 80 प्रतिशत तक वित्तीय घाटे को पाटने का यही एकमात्र ज़रिया होता था।

अनुपम मिश्रा ने उत्तर प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने गत वर्ष 2017 से लेकर 2022 तक 1,72703 करोड़ रुपये का नया कर्ज़ ले लिया है और चुकाया सिर्फ़ 42,120 करोड़ रुपया है ।

प्रदेश सरकार जिस तरह से नए कर्ज़ ले रही है वह प्रदेश की जनता को कंगाल बनाकर छोड़ेगी क्योंकि कुल बकाये कर्ज़ का 48% तक भुगतान अगले सात वर्षों में प्रदेश सरकार को करना है जो एक भयानक स्थिति में प्रदेश की अर्थव्यवस्था को खड़ा कर देगी। रिज़र्व बैंक ने भी प्रदेश सरकार को भावी ख़तरे से आगाह किया है कि प्रदेश सरकार अपनी अदूरदर्शिता के कारण प्रदेश को एक बड़े कर्ज़ में डूबा रही है।

उत्तर प्रदेश का कर्ज अनुमान

वर्ष 2024 में 7. 84, लाख करोड़ रुपये का कर्ज़ चढ़ जाएगा जो कि पिछले वर्ष से 40% अधिक है और आज उत्तर प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति पर 26, हज़ार रुपये से अधिक का कर्ज़ सरकार की ग़लत नीतियों के कारण चढ़ गया है अभी हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्दा मुद्राकोष ने भी भारत सरकार और राज्यों पर बढ़ते हुए कर्ज़ को चिंताजनक बताया था जैसा कि हमेशा होता आया है सरकार के वित् मंत्रालय ने IMF की रिपोर्ट को ख़ारिज कर दिया लेकिन बात ख़ारिज करने से नहीं बनेगी इसके लिए कुछ ठोस उपाय करने होंगे अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना होगा सिर्फ़ बड़ी बड़ी बातों से बात नहीं बनेगी।

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