तब सीएम मधु कोड़ा बन बीजेपी नेता अर्जुन मुंडा से अकाउंट में डलवाए थे 40 लाख रुपये, अब पकड़ा यूपी पुलिस ने सबसे बड़ा 'नटवर लाल'

रंजन कुमार मिश्रा कितना शातिर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2008 में झारखंड के तत्कालीन सीएम मधु कोड़ा बनकर बीजेपी नेता अर्जुन मुंडा से एक अकाउंट में 40 लाख रुपये ट्रांसफर करवा चुका है.

Update: 2020-06-30 04:32 GMT

लखनऊ. मुख्यमंत्री, राज्यपाल, आईएएस और आईपीएस ऑफिसर बनकर लोगों को करोड़ों का चूना लगाने वाला शातिर 'नटवर लाल' आखिरकार यूपी एसटीएफ के हत्थे चढ़ ही गया. यूपी एसटीएफ ने जमशेदपुर से शातिर ठग रंजन कुमार मिश्रा  को गिरफ्तार किया है. रंजन के खिलाफ फरवरी 2020 में लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी थाने में धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज हुई थी, जिसमें उसने यूपी राजकीय निर्माण निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर राजमणि को यूपी का एक सीनियर अफसर बन के फोन किया था और 8 लाख रुपये मांगे थे.

रंजन कुमार मिश्रा कितना शातिर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2008 में झारखंड के तत्कालीन सीएम मधु कोड़ा बनकर बीजेपी नेता अर्जुन मुंडा से एक अकाउंट में 40 लाख रुपये ट्रांसफर करवा चुका है. रंजन के खिलाफ यूपी, एमपी, झारखंड, बिहार, असम और गुजरात में धोखाधड़ी के कई मुकदमे दर्ज हैं और कुछ लोग तो ठगे जाने के बाद भी मजबूरी में मुकदमा नहीं लिखवा पाए.

ऐसे शुरू हुई रंजन की उल्टी गिनती

जनवरी 2020 में इटावा में तैनात यूपी निर्माण निगम के एक इंजीनियर को विभाग का प्रमुख बनकर फोन किया और लाखों मांगे थे. जिसकी रिपोर्ट सैफई थाने में दर्ज है. रंजन की उल्टी गिनती शुरू हुई अगस्त 2019 में जब उसने लखनऊ में न्यायिक अधिकारियों के ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट जेटीआरआई के चेयरमैन को चीफ जस्टिस बनकर फोन किया और 10 लाख रुपये एक अकाउंट में ट्रांसफर करने को कहा. इसके बाद ही रंजन के पीछे एसटीएफ लग गई थी.

रंजन यूपी में भी कई विभागों के इंजीनियरों, ठेकेदारों को ठग चुका है

जून 2019 में रंजन तिहाड़ जेल से छूटा, इसके बाद उसने अगस्त में खुद को यूपीपीसीएल का चेयरमैन बताकर लखनऊ में बिजली विभाग के ठेकेदार सिंह इंटरप्राइजेज और सैयद ट्रेडर्स से 10 लाख रुपए मांगे. जिसकी एफआईआर लखनऊ के तालकटोरा थाने में दर्ज है. इसके बाद ही चीफ जस्टिस बनकर जेटीआरआई के डायरेक्टर से 10 लाख रुपए मांगे थे.

बिहार के कई एसडीएम को ठग चुका है रंजन

एसटीएफ के मुताबिक 2011 में पटना के बेउर जेल में बंद रहने के दौरान भी उसकी ठगी जारी थी. बिहार के कई जिलों का डीएम बनकर एसडीएम को ठग चुका है. 2011 में रंजन ने ग्वालियर के जिला निर्वाचन अधिकारी को मुख्य चुनाव आयुक्त बनकर फोन किया था और एचडीएफसी के खाते में 2 लाख रुपये जमा करवा लिए थे. 2017 में बिजली विभाग का अधिकारी बनकर छत्तीसगढ़ के कोरबा में एक ठेकेदार से 5 लाख रुपये एक खाते में जमा करवा लिए थे.

मध्यप्रदेश का राज्यपाल बनकर विधायकों ने मांगे थे रुपए

2018 में जेल जाने से पहले केरल के बिजली और पीडब्ल्यूडी विभाग के चार ठेकेदारों से 20 लाख रुपए सीतामढ़ी के राकेश कुमार के खाते में जमा करवा लिए थे. 2018 में ही एमडी बनकर दिल्ली के बिजली ठेकेदार से 5 लाख रुपये एक खाते में जमा करवा लिए थे. फरवरी 2020 में रंजन ने खुद को मध्य प्रदेश का राज्यपाल बता कर वहां के 4 विधायकों से लाखों रुपए मांगे थे. इस मामले में एमपी के सागर जिले में एफआईआर दर्ज हुई थी.

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