यूपी में दो आईपीएस अफसर फरार, पुलिस ढूंढ़ रही है जगह जगह

यूपी कैडर को दो आईपीएस अपने ही विभाग के अफसरों और कर्मचारियों से छुपते फिर रहे हैं। भ्रष्टाचार मामले में यह दो आईपीएस पुलिस विभाग के लिए वांटेड हो गए हैं।

Update: 2020-10-19 07:07 GMT

यूपी में यह पहली बार हुआ है कि मुख्यमंत्री के कठोर निर्णय के बाद आईपीएस पर मुकदमा दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जा रही है। इस वक्त यूपी कैडर को दो आईपीएस अपने ही विभाग के अफसरों और कर्मचारियों से छुपते फिर रहे हैं। भ्रष्टाचार मामले में यह दो आईपीएस पुलिस विभाग के लिए 'वांटेड' हो गए हैं।

इनमें से एक आईपीएस अफसर का नाम है अरविन्द सेन, यह वर्ष 2003 बैच के आईपीएस हैं। और डीआईजी पद पर तैनात थे। यूपी सरकार ने अरविन्द सेन को 22 अगस्त को निलंबित कर दिया था। दूसरे आईपीएस अफसर का नाम है मणिलाल पाटीदार। पाटीदार वर्ष 2014 बैच के आईपीएस है। और अंतिम समय महोबा के एसपी थे। योगी सरकार ने मणिलाल पाटीदार को नौ सितंबर को निलंबित कर दिया था। ये दोनों अलग-अलग मामलों में अभियुक्त हैं, अब अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार हैं।

आईपीएस अरविन्द सेन पर लखनऊ के हजरतगंज थाने में 13 जून को मुकदमा दर्ज हुआ है। उन पर पशुपालन विभाग में टेंडर के नाम पर ठगी और भ्रष्टाचार मामले का आरोप है। वह एसटीएफ की जांच में दोषी पाए गए थे। अग्रिम जमानत के लिए दायर उनकी अर्जी कोर्ट से रद कर दी गई है। अरविन्द पूर्व सांसद स्व. मित्रसेन यादव के पुत्र है और फैजाबाद निवासी हैं। पुलिस की टीमें लखनऊ से लेकर फैजाबाद व अंबेडकरनगर तक उनकी तलाश कर रही हैं।

दूसरे महोबा एसपी रहे मणिलाल पाटीदार पर 10 सितंबर को मुकदमा दर्ज किया गया था। लखनऊ स्थित भ्रष्टाचार निवारण की अदालत ने मणिलाल पाटीदार के खिलाफ वारंट जारी कर रखा है। उनकी गिरफ्तारी के लिए आईजी रेंज के स्तर से एसआईटी तक गठित है। महोबा की पुलिस टीमें उनकी गिरफ्तारी के लिए दिल्ली से लेकर राजस्थान तक दबिश दे रही हैं लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही है। महोबा के क्रेशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी के वायरल वीडियो से विवादों में आए मणिलाल बाद में कई गंभीर आरोपों में जकड़ गए। एसआईटी ने उन्हें भ्रष्टाचार एवं इंद्रकांत को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का दोषी माना है।

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