यूपी अनुदेशक की सुनवाई पर सख्त हुआ कोर्ट, बोले क्या संगम नहाने आए हो

Update: 2022-05-24 08:19 GMT

उत्तर प्रदेश के इलाहबाद हाईकोर्ट में उत्तर प्रदेश के उच्च प्राथमिक विधालयों में कार्यरत अनुदेशकों के केस की सुनवाई थी। चूंकि मामला अनुदेशक के पक्ष में बना हुआ है जबकि डबल इंजन की सरकारे मामले को खींचती ही जा रही है। 

इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जेजे मुनिर ने इस केस की सुनवाई की। अनुदेशक के केस की अपीलकर्ता आशुतोष शुक्ला की अपील मे इलाहाबाद हाईकोर्ट की अधिवक्ता दुर्गा तिवारी कोर्ट में  मौजूद थी जबकि दिल्ली सुप्रीमकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एपी सिंह जी ऑनलाइन जुड़े हुए थे। 

आज के मुख्य बिन्दु 

◆अनुदेशकों को 17 हजार मानदेय देने का मामला

◆केंद्र सरकार की ओर से अंडर सेक्रेटरी ने पक्ष रखा

◆बिना कागजात के हाईकोर्ट पहुंचे थे अंडर सेक्रेटरी

◆बगैर कागजात आने पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

◆संगम घूमने आए हो,किसने टूर को परमिट किया-HC

◆इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को दिया आदेश

◆आने-जाने का भत्ता इन्हें सरकार नहीं देगी-हाईकोर्ट

◆अंडर सेक्रेटरी आज के दिन अवकाश पर रहेंगे हाईकोर्ट ने कहा 

◆अदालत में आज मामले में बहस नहीं हो सकी पूरी

◆11 जुलाई को 11.30 बजे होगी अगली सुनवाई

कोर्ट मे सुनवाई के दौरान यूनियन ऑफ इंडिया के पक्षकार बिना पेपर लिए हुए कोर्ट मे हाजिर हुय जिस पर बेंच सख्त आपत्ति जताते हुए सवाल किया कि यहाँ क्या संगम नहाने आए हो जबकि राज्य सरकार की और से एल पी मिश्रा पेश हुए थे। कोर्ट को बताया गया की कुछ देर में सचिव प्रस्तुत होंगे लेकिन वो आज प्रस्तुत नहीं हो पाए। इसके बाद बेंच ने 11 जुलाई को इसकी अगली देत दे दी है। 

बता दें कि पहले केंद्र और राज्य सरकार आपस में ही लड़ रही थी और तारीख लेने का कार्य कर रही थी। अब ये सरकारें फँसती देख अपास में मिल गई है ताकि अनुदेशक को उसका 17000 हजार देना न पड़े लेकिन उन्ही के द्वारा प्रस्तुत पेपर से सरकार को हर हाल मे लगता है कि अनुदेशक को भुगतान करना पड़ेगा। 

फिलहाल ग्रीष्मअवकाश के चलते जुलाई में तारीख लगी है। लेकिन मामला सरकार की गले की हड्डी बन चुका है। 

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