सपा विधायक जवाहर यादव हत्याकांड मामले में करवरिया बंधु दोषी, 4 नवम्बर सुनाई जायेगी सजा !

सपा विधायक जवाहर यादव हत्याकांड पर कोर्ट का फैसला आज आया है.

Update: 2019-10-31 09:21 GMT

इलाहाबाद का चर्चित जवाहर यादव हत्याकांड की आज कोर्ट में सुनवाई थी. जिसमें आज सबकी निगाहें कोर्ट के उपर टिकी हुई थी. जिसमें कोर्ट ने जवाहर यादव हत्याकांड मामले में करवरिया बंधु को दोषसिद्धि करार दिया है. लेकिन आज फैसला टालते हुए 4 नवम्बर को सजा का ऐलान करने की जानकारी समाने आई है. यह जानकारी अभी विधि सूत्रों से मिली है स्पेशल कवरेज न्यूज आपको सबसे पहले यह जानकारी दे रहा है. 

बहुचर्चित सपा विधायक जवाहर यादव पंडित (SP MLA Jawahar Yadav Pandit) हत्याकांड मामले में सभी पक्षों की बहस और दलीलें सुनने के बाद ट्रायल कोर्ट (Trial court) ने 18 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित कर लिया था. जबकि एडीजे कोर्ट ने फैसला सुनाने के लिए 31 अक्टूबर की तारीख तय की है.

सपा विधायक जवाहर पंडित हत्याकांड के फैसले को लेकर उनकी पत्नी पूर्व विधायक विजमा यादव (Vijma Yadav) के साथ ही उनके बच्चों और समर्थकों की भी निगाहें लगी हुई हैं. इस मामले में करवरिया बंधु (Karwariya Bandhu) आरोपी हैं.




 हत्‍याकांड में ये हैं आरोपी

जवाहर पंडित हत्‍याकांड में पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया, उनके भाई पूर्व विधायक उदय भान करवरिया, पूर्व एमएलसी सूरजभान करवरिया और राम चंद्र त्रिपाठी आरोपी हैं. झूंसी विधानसभा से सपा विधायक जवाहर यादव पंडित की हत्या 23 साल पहले 13 अगस्त 1996 को सिविल लाइन्स में पैलेस सिनेमा और कॉफी हाउस के बीच एके 47 रायफल से गोलियां बरसाकर की गई थी. सपा विधायक जवाहर पंडित के साथ ही उनके ड्राइवर गुलाब यादव और एक राहगीर कमल कुमार दीक्षित की भी गोली लगने से मौत हो गई थी. जबकि विधायक पर हुए हमले में पंकज कुमार श्रीवास्तव और कल्लन यादव घायल हो गए थे.

जवाहर यादव की पत्‍नी ने कही ये बात

कोर्ट से आने वाले फैसले को लेकर जवाहर पंडित की पत्नी और पूर्व विधायक विजमा यादव ने कहा है कि उन्हें अदालत पर पूरा भरोसा है और उन्हें न्याय जरूर मिलेगा. हालांकि 23 सालों तक अदालत में चली लम्बी कानूनी लड़ाई और अपने संघर्षों को याद करते हुए उनकी आंखें भी नम हो जाती हैं. हत्याकांड में विधायक की पत्नी की ओर से सिविल लाइंस थाने में करवरिया बंधुओं के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया गया था. सिविल लाइन्स थाने के बाद मुकदमे की विवेचना सीबीसीआईडी ने भी की और आरोप पत्र कोर्ट में पेश किया था. मुकदमे के दौरान कुछ साल तक हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के चलते मुकदमे की सुनवाई भी नहीं हो सकी थी.

योगी सरकार ने करवारिया बंधुओं से लिया था मुकदमा वापस

इस बीच प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद सरकार ने करवरिया बंधुओं से मुकदमा वापस ले लिया था, जिसका विरोध पूर्व विधायक विजमा यादव ने किया और अदालत में कानूनी लड़ाई भी लड़ी. इसके बाद कोर्ट ने सरकार के फैसले को यह कहते हुए वापस लौटा दिया था कि ट्रायल कोर्ट में चल रहे मुकदमे की सुनवाई फैसले के करीब है. मुकदमे की सुनवाई के दौरान आरोपियों को सजा दिलाने के लिए अभियोजन की तरफ से जहां 18 गवाहों के बयान दर्ज कराए गए थे, वहीं करवरिया बंधुओं को निर्दोष साबित करने के लिए बचाव पक्ष की ओर से 156 गवाहों को कोर्ट में पेश किया गया है. इस मामले भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे और मौजूदा समय में राजस्थान के गवर्नर कलराज मिश्रा की भी गवाही हो चुकी है. फिलहाल दोनों ही पक्षों को 23 साल चली इस लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद अब फैसले का बेसब्री से इंतजार है.

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