इलाहाबाद युनिवर्सिटी में बदल दी छात्रसंघ चुनाव की व्यवस्था, यह है नई नीति

Update: 2019-06-25 04:13 GMT

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में प्रशासन ने छात्रसंघ चुनाव समाप्त करने का फैसला किया है. प्रशासन ने विश्वविद्यालय में छात्र 'परिषद' व्यवस्था लागू करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में शपथ-पत्र दाखिल किया है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपने इस फैसले को लिंगदोह कमिटी की सिफारिशों के अनुरूप बताया है. बता दें कि सेंट्रल युनिवर्सिटी बनने के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव के दौरान कई बार उपद्रव हो चुका है. इससे पहले साल 2005 में विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव पर बैन भी लगाया जा चुका है.

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पीआरओ चितरंजन कुमार ने बताया कि विश्वविद्यालय ने स्टूडेंट काउंसिल की व्यवस्था लागू करने का फैसला करते हुए कोर्ट को इसकी जानकारी दी है. गौरतलब है कि लिंगदोह कमिटी की सिफारिश के क्लॉज 6.1.2 के अंतर्गत यह कहा गया है कि जहां विश्वविद्यालय परिसर का माहौल अशांत हो या शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव की संभावना न हो वहां छात्र परिषद की व्यवस्था की जाए. सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनने के बाद से इलाहाबाद विश्वविद्यालय परिसर में कई बार उपद्रव हो चुका है.

पीआरओ के मुताबिक विश्वविद्यालय प्रशासन प्रजातांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ नहीं है लेकिन शांतिपूर्वक शैक्षिक माहौल उसकी पहली जिम्मेदारी है इसलिए स्टूडेंट काउंसिल व्यवस्था लागू करने का फैसला लिया गया है. कुमार ने कहा, 'छात्र संघ चुनाव को धनबल और बाहुबल से मुक्त कराने के लिए ही सुप्रीम कोर्ट ने लिंगदोह कमिटी की संस्तुति देश भर में लागू की थी.' उन्होंने बताया कि 17 मई 2019 को विश्वविद्यालय ने इस आशय का हलफनामा हाई कोर्ट में दाखिल किया था, जिस पर न्यायालय ने गंभीरता पूर्वक विचार किया. 

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