एक नदी गुज़रती है..

Update: 2021-09-08 05:54 GMT

एक नदी गुज़रती है

मेरे मन के बिल्कुल बीच से ।

इस पार सब है तुम नहीं

उस पार तुम हो सब नहीं ।

वो नदी जो है मेरे मन की

पिछले दिनों से उफान पे है

बाढ़ आयी है,

और एक किनारा डूबेगा ।

मैं चाहता हूँ

कि जिधर तुम खड़े हो,

वो रह जाये,

मेरे मन का बाकी हर कोना बह जाये ।।

~फफूंद किताब से

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