GDP की व्यथा की कथा: आपदा मे अवसर तलाशने को बोला था, खुली बोरिग का गड्डा तलाशने को नही

नोट पितृपक्ष मे तेहरवी संस्कार और गया दोनो साथ होगी, यात्रा में 20 आदमी से ज्यादा एलाऊ नही है. इसलिए सब घर से ही GDP को पानी तर्पण करें.

Update: 2020-09-02 15:27 GMT

सुनील कुमार मिश्र 

सूद जी बोले..हे! ऋषियों, जम्बूदेश के वासिओ GDP के इतना गिर जाने पर उसके पिता मुखी ने उससे बोला. हे! GDP माई कहां खुले मे टहलने निकल पड़ी. तुमको सख्त हिदायत थी कि जब तक नई बनी सड़क की ऊपर की केचूल ना उतर जाये उसपर टहलने मत निकल पड़ना. किसी नये बने पुल का उपयोग ना करने की सख्त हिदायत थी. काहे से आजकल पुल बनने के बाद उद्घाटन से पहले ही न्यूटन अंकल आकर पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति से पुल गिरा दे रहे है।

आपदा मे अवसर तलाशने को बोला था. खुली बोरिग का गड्डा तलाशने को नही. पूरे गैंग ने तुमको संवारने की बहुत कोशिश की, तुम्हारे श्रृंगार के लिये साजो सामान मे शुरु से बदलाव कर दिये, लेकिन तुम इतना गिर जाओगी. ये सपने में भी नही सोचा था. अब पता लगा कि तुम कांगी वामी और देश द्रोहियो से मिलकर मुखी के मोर को बदनाम करने की साजिश मे लिप्त थी. खैर! जल्द ही तुमको देश द्रोही सिद्ध करके तुम्हारे गिरने के कारण को पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण बता कर मुखी तो तुमसे पीछा छुड़ा लेंगे। लेकिन तुम्हारा भविष्य क्या होगा ये तुम्ही जानो. मुखी कतई जिम्मेदार नही है तुम्हारी इस चारित्रिक गिरावट के लिये.

कुछ तो सीखा होता Only Vimal वाले मोटा भाई से आपदा मे ऐसे अवसर तलाशे कि आज दुनिया के नम्बर एक धनी उद्योगपति भी उनकी तरक्की देख दांते तले एक अंगुली दबा के खा गये. ओनली विमल वाले मोटा भाई की कमीज का कोना ही पकड़ लेती तो माई कसम न्यूटन अंकल की गुरुत्वाकर्षण तुम्हारा कुछ ना बिगाड़ पाती.

सूद जी बोले इतनी अमर्यादित भाषा और गंभीर आरोपों को सुन कर बोरिंग के गड्डे मे गहरे मे पड़ी GDP बिलबिला के बोली. हे! पितृ स्वरुपा मुखी. हम गिरे नही है और ना वाणी, कांगी या देशद्रोही है। तुमाये ओनली विमल वाले मोटा भाई ने आपदा मे अवसर तलाशने के नाम पर हमारे वस्त्रो ऐसा चीर हरण किया कि हम अपनी इज्जत बचाने के लिये गहरे गड्डे मे छिप गये है। इतना तो महाभारत काल मे दुस्साशन ने द्रौपदी के वस्त्रों का चीर हरण नही किया होगा, जितना तुम्हारे सगो ने हमारे साथ किया. हम तो बस वस्त्रों के चिथड़े बचाने के चक्कर में बोरिग के गड्डे में छिप गये है ताकि आपके मोटा भाई थोड़ी की नजर हम पर ना पड़े और बापू अब माफ करो, सब व्यवस्था बिना GDP के चलाओ। हममें अब बचा ही क्या है. सब कुछ तो लूट चुका है.

नोट पितृपक्ष मे तेहरवी संस्कार और गया दोनो साथ होगी, यात्रा में 20 आदमी से ज्यादा एलाऊ नही है. इसलिए सब घर से ही GDP को पानी तर्पण करें.

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