खस्ताहाल पाकिस्तान के लिए अब तक की सबसे बुरी खबर!

Update: 2019-06-11 16:19 GMT

इमरान खान ने जब से पाकिस्तान की सत्ता संभाली है, उन्हें विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है. चुनाव प्रचार के दौरान विदेशी मदद मांगने की बजाय खुदकुशी करने की बात कहने वाले इमरान खान आईएमएफ के सामने खुशी-खुशी घुटने टेक चुके हैं. कभी गधे तो कभी भैंस बेचकर पैसे जुटाने की जुगत में लगे पाकिस्तान के लिए एक और बुरी खबर आ सकती है. वो ये है कि, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) द्वारा पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट किया जा सकता है. जिसकी वजह से पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से मिलने वाले 6 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज पर रोक लग सकती है.

आतंकी संगठनों पर संतोषजनक कार्रवाई नहीं किए जाने को लेकर एफएटीएफ पाकिस्तान को पहले ही ग्रे लिस्ट में शामिल कर चुका है. इसके बाद पाकिस्तान को जैश और लश्कर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए 15 महीने का वक्त दिया गया और साथ ही 27 एक्शन प्लान भी बताए गए थे. लेकिन हाल ही में हुई समीक्षा बैठक में पाया गया कि पाकिस्तान ने सिर्फ दो एक्शन प्लान पर संतोषजनक काम किया है.

एफएटीएफ की अगली बैठक 16 से 21 जून के बीच फ्लोरिडा के ऑरलैंडो में होने वाली है. माना जा रहा है कि इस बैठक में पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में शामिल करने के लिए प्रस्ताव लाया जाएगा. एफएटीएफ के वर्तमान में कुल 36 सदस्य देश हैं. ऐसे में पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट होने से बचने के लिए कम से कम 3 सदस्य देशों के वोट की जरूरत होगी. वहीं, मौजूदा स्थिति ग्रे सूची से बार आने के लिए पाकिस्तान को 36 में ले 15 सदस्य देशों के वोट की जरूरत होगी.

हालांकि, अगर ऑरलैंडो की बैठक में पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट करने का फैसला ले भी लिया गया तो इसकी औरचारिक घोषणा अक्टूबर 2019 में की जाएगी. 18-23 अक्टूबर 2019 को एफएटीएफ की अगली बैठक पेरिस में होगी. पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट करने का अंतिम फैसला यहीं पर लिया जाएगा.

एफएटीएफ द्वारा ब्लैक लिस्ट होने के मायन

एफएटीएफ अगर पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट कर देता है तो उसके लिए यह 'गरीबी में आटा गीला होना' जैसा साबित हो सकता है. एफएटीएफ की काली सूची में शामिल होने से पाकिस्तान पर इसका गहरा आर्थिक प्रभाव होगा. जिसके बाद संभव है कि पाकिस्तान को आईएमएफ से मिलने वाले 6 अरब डॉलर के क़र्ज़ पर भी रोक लग जाए. आईएमएफ ने पाकिस्तान को मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग के खिलाफ उचित कदम उठाने की बात कही थी. आईएमएफ से लोन लेने के लिए एफएटीएफ से क्लियरेंस लेना जरूरी होता है. ऐसे में आईएमएफ से पाकिस्तान को मिलने वाले 6 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज पर ग्रहण लग सकता है.

गधे और भैंस बेचकर पैसे जुटा रहा पाकिस्तान

पाकिस्तान की माली हालात बहुत खराब हो चुकी है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पैसों के लिए वह चीन को हर मौसम में गधे निर्यात कर रहा है. इतना ही नहीं थोड़ा और पीछे जाए तो पैसों की कमी से जूझ रहे पाकिस्तानी पीएम इमरान खान ने प्रधानमंत्री आवास में रखी 8 भैंसों की भी निलामी का फैसला लिया था. इन भैसों को बेचकर पाकिस्तान सरकार ने करीब 23 लाख रूपये जुटाए थे.

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स

एफएटीएफ (वित्तीय कार्य दल) एक अंतर्राष्ट्रीय निकाय है जो कि आतंकी संगठनों को दी जाने वाली वित्तीय मदद पर नजर रखता है. यह एशिया-पैसेफिक ग्रुप नाम की संस्था के रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करती है. एशिया-पैसेफिक ग्रुप मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फाइनेंसिंग, जनसंहार करने वाले हथियारों की खरीद के लिए होने वाली वित्तीय लेन-देन को रोकने वाली एक संस्था है. हाल ही में एशिया-पैसेफिक ग्रुप ने पाकिस्तान को बताया है कि जिन 27 एक्शन प्लान पर उसे काम करने को कहा गया था उसमें से 18 पर उसकी कार्रवाई संतोषजनक नहीं है.

डरा हुआ है पाकिस्तान

इस बैन की आशंका पर पाकिस्तान सरकार काफी डरी हुई है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पाकिस्तना के विदेशमंत्री शाह महमूद कुरैशी भारत पर एफएटीएफ में लॉबिंग करने का आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने कहा है कि भारत दुनिया में पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशिश में लगा हुआ है. भारत पाकिस्तान को एफएटीएफ में ब्लैक लिस्ट कराने के लिए लॉबिंग कर रहा है. भारत ने हमेशा ही पाकिस्तान को नीचा दिखाने की कोशिश की है. इसके पहले कुरैशी यह स्वीकार कर चुके हैं कि अगर पाकिस्तान को 'ब्लैक लिस्ट' किया जाता है तो उनके देश को तकरीबन 10 अरब डॉलर सालाना का नुकसान होगा.

क़र्ज़ में डूबा है पाकिस्तान

क़र्ज़ के बोझ तले पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा गई है. क़र्ज़ के बोझ से पाकिस्तान दिवालिया होने के कगार पर है. पाकिस्तानी रुपया भी अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लगातार गिरते जा रहा है और 150 रुपये प्रति डॉलर के निचले स्तर तक जा पहुंचा है. जिसकी वजह से पाकिस्तान का सरकारी क़र्ज़ भी बढ़ता जा रहा है. साल 2018 में जून महीने के अंत तक पाकिस्तान का कुल सरकारी क़र्ज़ 179.8 अरब डॉलर था. पाकिस्तान पर विदेशी क़र्ज़ भी लगातार बढ़ रहा है. जो जून 2018 में 64.1 अरब डॉलर से बढ़कर जनवरी 2019 में 65.8 अरब डॉलर हो गया है.

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