म्यांमार के पश्चिमी राज्य राख़ीन में सेना की ओर से जारी दमन के कारण पड़ोसी देश बंग्लादेश शरण लेने पर मजबूर रोहिंग्या मुसलमानों की खेतिहर ज़मीन पर म्यांमार सरकार चावल की फ़सल उगवा रही है।
शनिवार को म्यांमार की सरकार ने एलान किया कि पश्चिमी राज्य राख़ीन के मुस्लिम बाहुल मान्गडा में 71000 एकड़ ज़मीन पर चावल की खेती शुरु हो गयी है। मान्गडा के कृषि विभाग के प्रमुख थेन वे ने एएफ़पी को बताया, "हमने आज म्यो थू गी गांव में खेती शुरू करा दी है।"
उन्होंने रोहिंग्या मुसलमानों के लिए अपमानजनक शब्द इस्तेमाल करते हुए, कि जिन्हें म्यांमार की सरकार ने नागरिकता नहीं दी है और उन्हें अवैध बंगाली अप्रवासी कहती है, कहा, "हम बंग्ला फ़रार करने वाले बंग्लालियों के खेतों में चावल की फ़सल बोने जा रहे हैं।"
इस अधिकारी ने कहा, "हम नहीं जानते कि दूसरी ओर फ़रार करने वाले बंगाली वापस आएंगे। इसलिए हम फ़सल बोने जा रहे हैं।" म्यांमार के सरकारी अख़बार 'द ग्लोबल न्यू लाइट ऑफ़ म्यांमार' ने भी इस रिपोर्ट की पुष्टि की है और कहा है कि फ़सल बोने के लिए देश के दूसरे भाग से मज़दूरों की मदद ली जा रही है।
म्यांमार सरकार के इस क़दम से 5 लाख से ज़्यादा मुसलमान शरणार्थियों की वापसी के संबंध में चिंता बढ़ गयी है जो हिंसा के कारण म्यांमार छोड़ कर जाने पर मजबूर हुए। ग़ौरतलब है कि म्यांमार के पश्चिमी राज्य राख़ीन में रोहिंग्या मुसलमान इस देश की सरकार के इशारे पर अक्तूबर 2016 से सैनिकों और चरमपंथी बौद्धों की ओर से सामूहिक हिंसा का शिकार हैं।