'निकाह हलाला' पर बैन के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, सुप्रीमकोर्ट में याचिका दायर की

AIMPLB ने बहुविवाह, निकाह हलाला, शरिया कोर्ट, निकाह मुतहा, निकाह मिस्यार पर प्रतिबंध लगाने कि मांग वाली पुरानी जनहित याचिका के खिलाफ अपनी याचिका दायर की है.

Update: 2020-01-27 06:26 GMT

नई दिल्ली: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सुप्रीम कोर्ट (supreme court) में बहुविवाह, निकाह हलाला (Nikah halala), शरिया कोर्ट, निकाह मुतहा, निकाह मिस्यार पर प्रतिबंध लगाने कि मांग वाली पुरानी जनहित याचिका के खिलाफ अपनी याचिका दायर की है.

अपनी याचिका में बोर्ड ने कहा है कि 1997 के फैसले में यह साफ हो चुका है कि पर्सनल लॉ को मूल अधिकारों की कसौटी पर नहीं आंका जा सकता। बता दें बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने मुस्लिम समाज में प्रचलित बहुविवाह और निकाह हलाला परंपराओं के खिलाफ अर्जी दायर की है.

क्या है निकाह हलाला?

मुसलमानों में एक बार तलाक हो जाए तो पत्नी को दोबारा पाने के लिए जो रास्ता अपनाया जाता है उसे निकाह हलाला कहा जाता है. पत्नी को दोबारा हासिल करने के लिए और उससे निकाह करने के लिए उसकी पत्नी को किसी दूसरे मर्द से शादी करनी होती है और शारीरिक संबंध बनाने होते हैं और फिर यदि वो 'खुला' या तलाक़ के ज़रिए अलग हो जाते हैं तो वो अपने पहले पति से दोबारा शादी कर सकती है.  

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