अब परीक्षा नही होगी अगली क्लास में जाने का पैमाना तैयार किया गया पैमाना, तैयार किया गया लर्निंग आऊटकल मॉड्यूल

Update: 2019-03-09 10:48 GMT

बाराबंकी (स्पेशल कवरेज न्यूज): प्रगति मुहिम के तहत इलाके के सभी प्राथमिक और जूनियर स्कूलों के बच्चों में लर्निंग आउटकम बढ़ाने के मकसद से परीक्षाए शुरू हुई। इस टेस्ट में आठवीं कक्षा के हजारो विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। शुक्रवार को प्राथमिक स्कूलों के बच्चों ने परीक्षाएं दे चुके है।

एमपीआरसी पुष्पेंद्र वर्मा की देखरेख में हुई लरीक्षाओ में गणित और अंग्रेजी विषयों में लर्निंग आउटकम को निखारना है। बताया कि ये टेस्ट जिले के सभी खंडों के स्कूलों में हो रही है। उन्होंने यह भी बताया कि इसके बाद टेस्ट में भाग लेने वाले विद्यार्थियों की जिला स्तरीय रैंकिंग तय की जाएगी और संबंधित स्कूलों को भेजा जाएगा ताकि विद्यार्थियों को अपनी रैंकिंग का पता चल सके और उसी के अनुरूप वे अपने लर्निंग आउटकम को बढ़ा सकें। इसका एकमात्र लक्ष्य विद्यार्थियों के शैक्षणिक स्तर को सुधारना है ताकि न केवल वे अपने शैक्षणिक स्तर में बढ़ोतरी कर सकें बल्कि बाद होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में भी बेहतर प्रदर्शन करके अव्वल रैंकिंग हासिल कर सकें।

अगली क्लाश में जाने का पैमाना

शिक्षाको ने बताया कि किसी भी क्लास में बच्चे ने क्या सीखा, इसे परखने के लिए परीक्षा में पास होना ही अब बेंचमार्क माना जाता है। शिक्षा की इस पद्धति का अनुसरण करते हुए यह तय नहीं किया जा सकता कि वाकई में बच्चे को अगली कक्षा में भेज दिया जाए। वह अगली कक्षा में जाने के लिए तैयार हो भी गया है या नहीं। यही वजह है कि गुणवत्तापरक शिक्षा और शिक्षा के स्तर को बेहतर करने के उद्देश्य से एनसीईआरटी ने एलीमेंट्री एजुकेशन के लिए एक लर्निंग आउटकम मॉड्यूल तैयार किया है। इसमें बताया गया है कि पहली से लेकर आठवीं कक्षा तक हर बच्चे को उसके सभी विषय से जुड़ा कितना ज्ञान होना चहिए। खास यह है कि बच्चों को इस लर्निंग आउटकम तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सिर्फ शिक्षक की नहीं है, बल्कि अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन की भी होगी।

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