CAA विरोध प्रदर्शन मामले में 48 लोगों की जमानत मंजूर

Update: 2020-01-30 07:01 GMT

(फैसल खान)

बिजनौर। CAA को लेकर बिजनौर में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा और तोड़फोड़ मामले में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये गये 48 आरोपियों को बिजनौर की जिला अदालत ने ज़मानत पर रिहा कर दिया , बिजनौर पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये गये इन लोगो के खिलाफ पुलिस कोर्ट में कोई पुख्ता सुबूत पेश नहीं कर पाई, कोर्ट ने 48 लोगों को ज़मानत देते हुए अपने आदेश में कहा कि पुलिस यह साबित करने में नाकाम रही की यह लोग किसी प्रकार की गोलीबारी या तोड़फोड़ में शामिल थे या इन्होने पुलिस के जवानो पर किसी प्रकार से हमला किया था, कोर्ट ने पुलिस वालों पर हुए हमले की मेडिकल रिपोर्टों को भी नकार दिया।

पिछले महीने की यानि बीस दिसंबर को उत्तर प्रदेश के कई ज़िलों में CAA के विरोध में प्रदर्शन हुए थे , जिसमे बिजनौर के भी कई शहरों में प्रदर्शन हुए थे, जिनमे कुछ शहरों में हिंसा भी हुई थी , ज़िले में सबसे ज़्यादा हिंसा नेहटौर इलाके में हुई थी जहाँ पर गोली लगने से सुलेमान और अनस नाम के दो लड़को की मौत भी हो गई थी , जिसमे बिजनौर पुलिस ने माना था कि सुलेमान की मौत पुलिस की गोली से हुई थी, उसी दिन बिजनौर के नगीना में भी जुमे की नमाज़ के बाद विरोध प्रदर्शन हुआ था, जिसमे उसी दिन पुलिस ने 83 लोगो को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था।

83 लोगो की यह गिरफ़्तारी पूरे प्रदेश के किसी एक शहर से की गई सबसे ज़्यादा बड़ी गिरफ्तारी थी , जिसमे एक ही दिन में 83 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, इन सभी लोगो पर पुलिस ने गम्भीर धाराओं में मुक़दमा दर्ज किया था, इनके ऊपर हत्या का प्रयास, सार्वजनकि सम्पत्ति की तोड़ फोड़ और पुलिस पर हमला और सरकारी कार्य में बाधा जैसे संगीन आरोप लगाये थे , इन सभी 83 लोगों में से जब कोर्ट ने 48 लोगो की ज़मानत पर सुनवाई शुरू की तो पुलिस कोर्ट में अपने किसी भी पक्ष को मज़बूती से नहीं रख पाई और कोर्ट ने सभी 48 लोगो को ज़मानत पर रिहा करने का आदेश सुना दिया।

गोलीबारी का दावा करने वाली पुलिस किसी के पास से कोई हथियार भी बरामद नहीं कर पाई , वाहनों में तोड़फोड़ की बात कहने वाली पुलिस उन वाहनों के नंबर भी कोर्ट में नहीं बता पाई जिनमे तोड़फोड़ की बात पुलिस ने कही थी, बचाव पक्ष के वकील अहमद ज़कावट का कहना है कि सारा मामला पुलिस ने मनगढ़त तरीके से रचा था इसी लिये कोर्ट में पुलिस कुछ साबित नहीं कर पाई और माननीय कोर्ट ने सभी 48 लोगो की ज़मानत स्वीकारते हुए सभी को ज़मानत पर रिहा करने का आदेश सुनाया है।


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