मानिकपुर से चित्रकूट तक 120 किलोमीटर रेल लाइन बिछाए जाने के बाद 2 पिछड़े जिलों का तेजी से होगा विकास

जिले के कैबिनेट मंत्री उप मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद भी कौशांबी जनपद के विकास को लेकर अभी तक राजनीतिक दल के प्रतिनिधियों ने नहीं की पहल

Update: 2022-11-29 06:08 GMT

कौशांबी: इलाहाबाद लखनऊ रेल लाइन से यदि मुम्बई प्रयागराज रेल लाइन को वाया कौशांबी चित्रकूट जोड़ दिया जाए तो कई धार्मिक ऐतिहासिक तीर्थ स्थलों के साथ-साथ दो पिछड़े जिलों का तेजी से विकास होगा दो पिछड़े जनपद देश की मुख्यधारा से जुड़ जाएंगे और उद्योगपतियों द्वारा इस क्षेत्र में तमाम उद्योग धंधे लगाए जाने की संभावना है जिससे पिछड़े जिले के लोगों को रोजगार का सुनहरा अवसर मिलेगा लेकिन कौशांबी जनपद के विकास को लेकर अभी तक राजनीतिक दल के प्रतिनिधियों ने पहल नहीं की है। 

पूर्व में यहां उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री इंद्रजीत सरोज रहे उन्होंने भी रेल लाइन से कौशांबी मुख्यालय को जोड़ने की ओर पहल नही किया और वर्तमान में उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य इसी जिले के रहने वाले हैं लेकिन डिप्टी सीएम द्वारा भी कौशांबी जनपद को रेल लाइन से जोड़ने का प्रयास शुरू नहीं किया गया है इतना ही नहीं बीते 8 वर्षों से कौशांबी लोकसभा का प्रतिनिधित्व भाजपा सांसद विनोद सोनकर कर रहे हैं भाजपा सांसद विनोद सोनकर द्वारा भी कौशांबी मुख्यालय को रेल लाइन से जोड़ने का प्रयास नहीं किया गया है पूर्व के सांसद द्वारा भी कौशांबी मुख्यालय को रेल लाइन से जोड़ने का प्रयास नहीं हुआ है जिससे कौशांबी वासी अपने को अनाथ महसूस कर रहे हैं वरिष्ठ अधिवक्ता प्रेमचंद चौरसिया आईबेएफ ने कौशांबी मुख्यालय मंझनपुर को रेल लाइन से जोड़ने की मांग की है। 

विश्व पर्यटन मानचित्र पर बौद्ध सर्किट का महत्वपूर्ण केंद्र कौशांबी जनपद जाना जाता है प्रयागराज तीर्थ से यहां का मुख्यालय मंझनपुर 54 किलोमीटर की दूरी पर है सड़क मार्ग से ही कौशांबी मुख्यालय मंझनपुर और कौशांबी के पर्यटन ऐतिहासिक स्थल पहुंचने के साधन है कौशांबी की सीमा भरवारी सिराथू से दिल्ली हावड़ा रेल मार्ग गुजरती है लेकिन महत्वपूर्ण ट्रेनों का ठहराव कौशांबी के स्टेशनों पर नहीं दिए गए हैं जिससे पर्यटक तीर्थ यात्रियों को यात्रा के दौरान दिक्कतों से जूझना पड़ता है विश्व पर्यटन मानचित्र में विशेष स्थान रखने वाले कौशांबी का अतीत भगवान श्रीकृष्ण और महाभारत काल से भी जुड़ा है तो चित्रकूट धाम का महत्व भगवान श्री राम के युग से जुड़ा हुआ है लेकिन दोनों जिले में रेल लाइन ना होने से विकास बाधित हो रहा है तीर्थयात्रियों और ऐतिहासिक धार्मिक स्थल तक पहुंचने में पूरे वर्ष पर्यटकों को दिक्कतों से जूझना पड़ता है। 

गौरतलब है कि कौशांबी और चित्रकूट जनपद ऐतिहासिक पौराणिक धार्मिक स्थलों की खान माना जाता है प्रभु श्रीराम के कार्यकाल से लेकर भगवान श्री कृष्ण और महाभारत के कार्यकाल के स्वर्णिम युग के महत्त्व कौशांबी और चित्रकूट से जुड़ी हुई है आज भी कौशांबी में महाभारत काल का महाराजा उद्दायन का किला जैन धर्म से जुड़े प्रभास गिरी कड़ा स्थित आदि शक्तिपीठ मां शीतला धाम संत मलूक दास आश्रम रत्नावली स्थल सहित विभिन्न धार्मिक स्थल है इसी तरह चित्रकूट जनपद धार्मिक स्थलो के मामले में विश्व विख्यात है इसका वर्णन किए जाने की जरूरत नहीं है कई लाख भक्त कड़ा धाम स्थित मां शीतला का दर्शन पूजन करने आते हैं लेकिन रेलमार्ग ना होने से पर्यटकों तीर्थ यात्रियों को घोर असुविधा का सामना करना पड़ता है जिससे ऐतिहासिक धार्मिक स्थल का समुचित विकास नहीं हो पा रहा है। 

लखनऊ प्रयागराज रेल लाइन के मानिकपुर स्टेशन से वाया कड़ा धाम मंझनपुर राजापुर महेवाघाट चित्रकूट की दूरी 120 किलोमीटर है और मानिकपुर से चित्रकूट तक रेल लाइन बिछाए जाने के बाद 2 पिछड़े जिलों का विकास तेजी से होगा यदि धार्मिक ऐतिहासिक स्थल नए रेल मार्ग से जुड़ जाएं तो इस क्षेत्र में उद्योग धंधे स्थापित होने की तेजी से संभावना है और दोनों जिलों के बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा बेरोजगारी भी दूर होगी लेकिन अभी तक कौशाम्बी मुख्यालय मंझनपुर को रेल मार्ग से जोड़ने की कवायद राजनीतिक दलों ने नहीं शुरू की है। 

Tags:    

Similar News