अनुदेशकों के 17 हजार मानदेय पर हाई कोर्ट ने फैसला किया रिजर्व, जानिए अधिवक्ता डॉ एपी सिंह ने क्या कहा
जानिए इस विषय पर डॉ एपी सिंह मीडिया को क्या जानकारी दिए।;
अनुदेशकों के बहुप्रतीक्षित 17 हजार मामले पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में आखिरी सुनवाई हुई, जिसमें मुख्य न्यायाधीश की डबल बेंच की खंडपीठ ने फैसले को सुरक्षित कर लिया।
जानिए इस मामले पर अनुदेशकों के अधिवक्ता डॉ एपी सिंह ने क्या कहा
इस मामले को देख रहे अनुदेशकों के अधिवक्ता डॉ एपी सिंह ने कहा कि, मुझे ये उम्मीद नहीं थी कि उत्तर प्रदेश सरकार के महाधिवक्ता ( एजी) इस मामले पर अपना विरोध दर्ज कराएंगे,कहां तो एजी साहब को यह स्वीकार करना चाहिए था कि हमसे भूल हुई है और हम इन अनुदेशकों का उनका हक देंगे लेकिन यहां तो एजी साहब पूरी तरह से अनुदेशकों के विरोध में बोल रहे थे। "मैंने तो चांद और सितारों की तमन्ना की थी लेकिन मुझको स्याह रातों की सिवाय कुछ न मिला"।।
हमने माननीय बेंच को यह बताया कि जब Pab ने यह स्वीकार कर लिया कि इतने कम मानदेय 7 हजार में अनुदेशकों का भरण पोषण नहीं हो सकता और इनके मानदेय को बढ़ाकर 17 हजार कर दिया जाए तो फिर सरकार को कहां दिक्कत आई। हालांकि pab से पास हो जाने के बाद केंद्र सरकार द्वारा अपना पैसा देने के बावजूद राज्य सरकार यह घोषणा करती है कि हम अनुदेशकों का 17 हजार मानदेय देंगे और विधिवत इसकी घोषणा सरकार के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल, प्रदेश के सभी अखबारों में यह खबर भी छपती है तो फिर आखिर क्यों उत्तर प्रदेश की सरकार इनका मानदेय नहीं दे रही है। जबकि केंद्र द्वारा भेजा पैसा अभी सरकार के पास पड़ा हुआ है। यह सुनकर जज ने एजी से पूछा कि आपने क्यों नहीं दिया तो हमारे एजी साहब जज के इस प्रश्न का ठीक से उत्तर नहीं दे पाए। जज ने एजी से पूछा कि जो सरकारी कर्मी 90 हजार रुपए तनख्वाह पा रहे हैं क्या वे ठीक से काम कर पा रहे हैं तो इस प्रश्न का जवाब भी एजी ठीक से नही दे पाए। डॉ एपी सिंह ने बताया कि लंबी जिरह बहस के बाद आखिरकार माननीय मुख्य न्यायाधीश ने फैसले को सुरक्षित कर लिया है लेकिन हमें पूरा विश्वास है कि फैसला हमारे पक्ष में ही आयेगा।