मायावती का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा, 'मेरी मूर्तियां लगें ये जनता और कांशीराम की इच्छा थी'

सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में कहा था कि उसके संभावित विचार में लखनऊ और नोएडा में अपनी तथा बसपा के चुनाव चिह्न हाथी की मूर्तियां बनवाने पर खर्च किया गया सारा सरकारी धन मायावती को लौटाना होगा

Update: 2019-04-02 06:11 GMT

नई दिल्ली : बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश में अपनी प्रतिमाओं और हाथी की मूर्तियों की स्थापना में खर्च को सही ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हलफनामा दायर किया। उन्होंने हलफनामे में कहा है कि यह लोगों की इच्छाएं थीं। इसके अलावा मायावती ने हलफनामे दायर कर पैसा भी देने से इंकार किया है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में कहा था कि उसके संभावित विचार में लखनऊ और नोएडा में अपनी तथा बसपा के चुनाव चिह्न हाथी की मूर्तियां बनवाने पर खर्च किया गया सारा सरकारी धन मायावती को लौटाना होगा। कोर्ट एक वकील की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें कहा गया था कि सार्वजनिक धन का प्रयोग अपनी मूर्तियां बनवाने और राजनीतिक दल का प्रचार करने के लिए नहीं किया जा सकता।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा था कि हमारे संभावित विचार में मायावती को अपनी और चुनाव चिह्न की मूर्तियां बनवाने पर खर्च हुआ सार्वजनिक धन सरकारी खजाने में वापस जमा करना होगा।

वहीं, पीठ ने स्पष्ट किया कि यह अभी संभावित विचार है क्योंकि मामले की सुनवाई में कुछ वक्त लगेगा। पीठ ने बताया था कि मामले की अंतिम सुनवाई दो अप्रैल को होगी।

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