शामली में पत्रकारों का धरना जारी, एसपी ने की जनता से ये अपील, पत्रकारों की मांग 100 प्रतिशत गलत

Update: 2019-08-31 03:36 GMT

शामली में शुक्रवार से पत्रकार अनिश्चित कालीन धरने पर बैठे हुए है. धरना स्थल पर ही उनका खाना पीना सोना हो गया है. देर रात पत्रकारों से जिलाधिकारी ने बातचीत की लेकिन पत्रकार तस से मस नहीं हुए. वहीं शामली के एसपी ने जिले की सभी सम्मानित जनता से अपील की. 

पत्रकारों के लगातार हो रहे शोषण और करीब 3 महीने पहले News24 के संवाददाता अमित शर्मा के साथ पुलिस द्वारा की गई अमानवीय घटना को लेकर आज जनपद शामली में जिले के समस्त पत्रकारों ने कलेक्ट्रेट में अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू किया पत्रकारों की मांग है कि एसपी शामली अजय कुमार पांडे को तत्काल जनपद शामली से हटाया जाए व थाना प्रभारी कांधला को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए जिनके द्वारा कांधला के एक पत्रकार को फर्जी मुकदमे में जेल भेजा गया है.

 दरअसल आपको बता दें कि पूरा मामला जनपद शामली का है. जहां पर लगातार पत्रकारों के उत्पीड़न के खिलाफ जनपद शामली के पत्रकार इलाहाबाद भी गये, और जनपद शामली के सभी पत्रकारों ने इलाहाबाद से वापस होते हुए कलेक्ट्रेट शामली में आज से अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है. दरअसल पत्रकार पुलिस की कार्यप्रणाली से संतुष्ट नहीं है पुलिस द्वारा आए दिन किसी न किसी पत्रकार के खिलाफ फर्जी मुकदमा कर उसे जेल भेजा जा रहा है बीते करीब 3 माह पहले जीआरपी शामली पुलिस द्वारा News24 के संवाददाता अमित शर्मा के साथ जो अमानवीय घटना की गई थी उसे पूरा देश जानता है इस प्रकरण में शामली के पत्रकारों ने डीजीपी महोदय ओपी सिंह से मिलकर पूरे प्रकरण की जांच किसी निष्पक्ष जांच एजेंसी से कराए जाने की मांग की थी. लेकिन डीजीपी महोदय द्वारा पुलिस की समकक्ष सिविल पुलिस शामली पूरे प्रकरण की जांच सौंपी गई थी जिसमें शामली पुलिस कप्तान अजय कुमार पांडे द्वारा जांच को क्राइम ब्रांच द्वारा कराया गया जिसमें जीआरपी कांड के सभी आरोपियों को क्लीन चिट दे दी गई है. तो वहीं जीआरपी कांड के आरोपी बहाल भी हो चुके हैं. पत्रकारों की मांग है कि अमित शर्मा वाले प्रकरण की जांच सीबीआई से कराई जाए क्योंकि पुलिस की जांच पुलिस कर रही है. लिहाजा पत्रकार को न्याय मिलना नामुमकिन ही नहीं असंभव भी है.

साथी पत्रकारों की यह भी मांग है कि जिस जांचकर्ता ने अमित शर्मा प्रकरण की पूरी जांच की है उसके फोन कॉल बातचीत मिलने का समय और जांचकर्ता कब-कब किस से मिले और कहां रुके इन सब बिंदुओं पर प्रशासनिक जांच कराई जानी चाहिए पत्रकारों की मांग है कि शामली एसपी अजय कुमार पांडे को तत्काल प्रभाव से शामली से स्थानांतरण किया जाए. बीते कुछ दिन पहले शामली की कांधला पुलिस ने एक दैनिक अखबार के पत्रकार को फर्जी मुकदमे में जेल भेज दिया था. जिस पर कांधला के पत्रकारों ने थाने पर धरना प्रदर्शन किया था जिसके बाद जिलाधिकारी शामली में एसपी शामली ने पत्रकारों को आश्वासन दिया था कि पूरे मामले की जांच कराई जाएगी और आरोपी एसएचओ कांधला को निलंबित किया जाएगा. लेकिन आज तक उस में भी शामली पुलिस कप्तान अजय कुमार पांडे द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई .है जिससे भी पत्रकारों में नाराजगी है और पत्रकारों की मांग है कि एसएचओ कांधला को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए और उनकी भी प्रशासनिक जांच कराई जाए पत्रकारों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जाती तब तक वह अनिश्चितकालीन धरना शामली कलेक्ट्रेट में जारी रखेंगे.

उधर एसपी अजय कुमार ने कहा है कि कृपया ग़लत तथ्यों वाली किसी ख़बर पर शामली की सम्मानित जनता ध्यान न दें . 'पुलिस के ख़िलाफ़ धरने पर पत्रकार' शीर्षक वाली इस ख़बर के दूसरे पैराग्राफ़ का आख़िरी वाक्य है "काँधला में भी पत्रकार अख़्तर क़ुरैशी को फ़र्ज़ी मुकद्में में जेल भेजा गया." आपको अवगत कराना है कि किसी पत्र के वरिष्ठ सम्वाददाता द्वारा लिखा गया यह तथ्य पूरी तरह से ग़लत है. यह न केवल 100 % ग़लत है, बल्कि सही तथ्यों से कोसों दूर भी है.

जाँच और विवेचना के आधार पर जो सही बात निकली है, वह यह है कि...

1. इस मामले में अख़्तर क़ुरैशी के ख़िलाफ़ कोई एफआईआर क़ायम ही नहीं हुई है।

2. अख़्तर क़ुरैशी को जेल भेजा ही नहीं गया है।

3. सही तो यह है कि पुलिस ने अख़्तर क़ुरैशी की मदद करते हुए उनकी तरफ़ से उनके विपक्षी के ख़िलाफ़ ही एफआईआर दर्ज की है।

उपरोक्त बातों पर ग़ौर फ़रमाएँ तो यह साफ़ हो जाता है कि किस तरह पत्रकारिता के नाम पर कुछ लोगों के द्वारा आम जनता को गुमराह किया जा रहा है। शामली में कुछ पत्रकार धरने पर बैठें हैं, वे बाइज़्ज़त बैठें। यह अपने देश में सबका लोकतांत्रिक हक़ है। परन्तु अपुष्ट, भ्रामक और पूरी तरह से मनगढ़ंत ख़बरों का सहारा लेकर आम जनता को भ्रमित करना व पुलिस के ख़िलाफ़ भड़काना कहाँ तक उचित है? यह एक चिन्ता का विषय है।

बताना चाहूँगा कि धरने पर बैठे कुछ पत्रकारों की मूलत: दो माँगें हैं...

1. पहली माँग है...थाना काँधला के प्रभारी संजीव विश्नोई को लाइन हाज़िर किया जाए...कारण? अख़्तर क़ुरैशी पर ज़्यादती। पर, सही तथ्य यह है कि एसपी अजय कुमार ने अपने बाद ज़िले के सबसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी द्वारा पूरे मामले की करवाई। जाँच में उत्पीड़न का कोई मामला पाया ही नहीं गया है; बल्कि, अख़्तर क़ुरैशी की तरफ़ से ही एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने मदद ही किया है।

2. दूसरी माँग है कि अमित शर्मा पत्रकार के प्रकरण में विवेचना सही नहीं हुई है। बताना चाहूँगा कि मूलत: यह जीआरपी पुलिस का मामला है; यह मामला मूलत: शामली पुलिस का है ही नहीं। परन्तु, तफ़्तीश शामली पुलिस को मिली थी, और शामली पुलिस मामले में चार्जशीट तक पहुँची है; मामला माननीय प्रेस काउन्सिल ऑफ़ इण्डिया की भी जानकारी में है। परन्तु कुछ पत्रकार चाहते हैं कि लूट और अपहरण की धाराएँ और बढ़ाई जाएँ। चूँकि पूरी तफ्तीश में पुलिस द्वारा लूट और अपहरण के कोई सबूत नहीं मिले हैं; तो पुलिस कर ही क्या सकती है?

कुल मिलाकर, इसी तरह की नाजायज़ और बेबुनियाद माँगों को लेकर धरना दिया जा रहा है जो कि पूरी तरह औचित्यहीन है। सही यह है कि पूरी तरह से शामली पुलिस सभी सम्मानित पत्रकार बंधुओं का आदर, सम्मान व सहयोग करती आई है।

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