शामली : आजाद समाज पार्टी ने निजी करण को लेकर कलेक्ट्रेट में किया प्रदर्शन

Update: 2020-09-24 07:41 GMT

जनपद शामली कि कलेक्ट्रेट में आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी करते हुए सरकारी क्षेत्रों के निजीकरण पर रोक अन्य निजी क्षेत्रों में sc-st ओबीसी माइनॉरिटी को आरक्षण, युवाओं को रोजगार वह किसान विरोधी विधायक को रद्द किए जाने को लेकर. एसडीएम शामली को एक ज्ञापन सौंपा व कलेक्ट्रेट शामली में जमकर प्रदर्शन किया और नारेबाजी की.

आपको बता दें जनपद शामली की कलेक्ट्रेट में आजाद समाज पार्टी के दर्जनों कार्यकर्ताओं ने सरकारी क्षेत्रों के निजीकरण पर रोक व अन्य मांगों को लेकर एसडीएम शामली को एक ज्ञापन सौंपा. आजाद समाज पार्टी ने ज्ञापन के माध्यम से राष्ट्रपति महोदय से मांग की राष्ट्रीय हितों की भावना को ध्यान में रखते हुए सरकारी संस्थाओं उपक्रमों विभागों का निजीकरण तत्काल प्रभाव से रोका जाए. निजी क्षेत्रों में अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक समुदाय को आनुपातिक प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित किया जाए.

लेटरल इंडस्ट्री,आउटसोर्सिंग और सविता जैसे छात्र विरोधी नीतियों को त्याग कर छात्रों युवाओं को रोजगार सुनिश्चित किया जाए. सफाई कर्मचारियों की अस्थाई नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से स्थाई नियुक्ति सुनिश्चित की जाएं. वर्तमान सत्र में पास किए गए 3 किसान विरोधी कृषि विधायकों को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए. आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने बताया कि केंद्र सरकार कल्याणकारी राज्य की स्थापना सुनिश्चित करने के लिए भारतीय संविधान द्वारा समस्त नागरिकों को समान अधिकार दिया गया. साथ ही सदियों से सामाजिक बहिष्कार एवं शोषण के शिकार रहे वंचित समुदाय के लोगों को राष्ट्र के विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है.

मगर अफसोस की संविधान लागू होने के इतने वर्षों बाद भी किसी भी विभाग में इन वर्गों के निर्धारित आरक्षण आज तक पूरे नहीं किए गए, जिन जिन उपकरणों संसाधनों विभागों में आरक्षण का प्रावधान नहीं है वहां इन वर्गों का प्रतिनिधित्व 0 है, उन्होंने बताया कि सरकार कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को छोड़कर जातिवाद और पूंजीवादी व्यवस्थाओं को देश प्रथम रही है जिससे देश के कमजोर शोषित वंचित वर्ग के लोग लगभग बर्बादी की कगार पर खड़े हो चुके हैं. भाजपा सरकार ने उद्योगपतियों के हवाले रेलवे बैंक एलआईसी ओएनजीसी और अन्य सभी संसाधनों का निजीकरण करके पूंजीपतियों के आगे नतमस्तक होने में व्याप्त है.

उन्होंने बताया कि दिन-प्रतिदिन देश की संवैधानिक व्यवस्था खतरे में होती नजर आ रही है इसी क्रम में सबसे ज्यादा हमला शिक्षा व स्वास्थ्य तौर पर हुआ है गरीब शोषित वंचित समाज को एक उम्मीद होती है कि सरकार उनके लिए कुछ करेगी वह भी विकास की मुख्य धारा से जुड़ेंगे लेकिन अगर इसी गति से निजी करण की प्रक्रिया चलती रही तो वह दिन दूर नहीं जब शासन प्रशासन और अन्य क्षेत्रों में शोषित वंचित समुदाय की भागीदारी 0 हो जाएगी और मुट्ठी भर तबके के हाथ में देश की बागडोर होगी.

उन्होंने बताया कि देश में बेरोजगारी के खिलाफ युवाओं में गुस्सा है और आक्रोश,मेहनत मजदूरी करके अपनी संतानों को पढ़ा रहे हैं आज गरीब मां-बाप हताशा का जीवन जी रहे हैं, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की 2019 रिपोर्ट कहती है कि साल भर में करीब 42000 किसानों ने आत्महत्या कर ली. आपदा के दौर में किसान की मदद करने की वजह सरकार द्वारा किसान विरोधी विधायक को बगैर किसी चर्चा के पास किया जाना सत्ता के निरंकुशता का प्रमाण है. युवाओं की हक मारी करके पूंजीपतियों के इशारे पर निजीकरण को बढ़ावा देना सरकार की शिक्षा विरोधी चरित्र को दर्शाता है निजी करण देश के छात्रों युवाओं के संघर्ष पर हमला है, इसे हर हाल में खत्म होना चाहिए.

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