300 की दिहाड़ी पाने वाले अनुदेशकों से सरकार लड़ रही है सुप्रीमकोर्ट में लड़ाई

2017 में उत्तर प्रदेश की सरकार ने अनुदेशकों का मानदेय 7 हजार से बढ़ाकर 17 हजार करने की खबर प्रकाशित करवाई थी। लेकिन आज 6 साल बीतने पर भी अनुदेशकों को 17 हजार नहीं मिला।

Update: 2023-09-28 03:45 GMT

मात्र 300 रोजाना की दिहाड़ी और ऊपर से दुनिया भर की जिम्मेदारी। न समय से मानदेय मिलता है और नहीं विद्यालय में सम्मान। कुछ इसी तरह की दयनीय स्थिति से गुजर रहा है, उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत अनुदेशक।

अपने ही फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में लड़ रही है सरकार

वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के साथ ही घोषणा की जाती है की अब अनुदेशकों का मानदेय 7000 से बढ़ाकर 17000 कर दिया जायेगा। इस घोषणा की खबर सभी दैनिक समाचार पत्रों और न्यूज चैनलों में प्रकाशित होती है।

6 साल बीतने पर भी नहीं मिला 17000

लेकिन दुर्भाग्य देखिए की 6 साल बीत गए और आजतक सरकार अनुदेशकों का मानदेय 17000 नहीं कर सकी। सरकार की इस हठधर्मिता के विरुद्ध जब अनुदेशक कोर्ट जाते हैं तो सरकार इन दिहाड़ी अनुदेशकों के विरुद्ध कोर्ट में भी जाती है और लड़ाई लड़ती है। जब हाईकोर्ट से सरकार हार जाती है तो सुप्रीम कोर्ट में भी सरकार इन अनुदेशकों से लड़ती है।

पूरा महीना बीतने पर भी मानदेय नहीं मिलता

हद तो तब हो जाती है, जब पूरा का पूरा महीना बीत जाता है और इन निरीह, शोषित,पीड़ित,उपेक्षित अनुदेशकों को मानदेय नहीं मिलता है। ऐसे में घर का खर्च कैसे चले, अपना खुद का खर्च कैसे चले, मोटरसाइकिल में पेट्रोल डलवाकर अनुदेशक स्कूल कैसे जाए। यह समझ से परे है।


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