CJI डी वाई चंद्रचूड़ के नाम एक खुला पत्र -सजायाफ्ता लालू को अदालत कब तक खुला छोड़ेगी ?

Update: 2023-03-30 14:21 GMT

सुभाष चंद्रा एक आम नागरिक है। उन्होंने आज सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ जी को एक पत्र लिखकर लालू प्रसाद के केस को लेकर पूरा व्यौरा प्रस्तुत किया। उनके द्वारा लिखा गया पत्र पढ़कर समझिए उनकी भावनाएं। 

पढिए पत्र 

माननीय जस्टिस चंद्रचूड़ जी,

1990 के दशक में हुए बिहार के चारा घोटाले की CBI ने 20 - 25 वर्ष तक अथक परिश्रम कर जांच की और लालू यादव समेत अनेक लोगों को सजा दिलाने में सफलता हासिल की - लालू यादव को कुल मिला कर साढ़े 32 साल की सजा हुई और 165 लाख का जुर्माना हुआ परंतु लालू मात्र साढ़े 3 साल जेल में रहा वह भी अस्पताल में - न जाने किस कानून में कपिल सिब्बल ने आधी सजा भुगतने पर उसे जमानत दिला दी -

लालू यादव को 5 केस में यह सजा हुई है -

-चाईबासा -आरसी 20(ए)/96 - (37.80 करोड़)

30 अक्टूबर 2013 को 5 साल की जेल और 25 लाख जुर्माना;

-देवघर --आरसी 64 (ए)/96 -- (89 लाख )

6 जनवरी 2018 को लालू को साढ़े तीन साल की जेल और

10 लाख का जुर्माना;

-चाईबासा --आरसी 68 (ए)/96 - (33. 67 करोड़)

24 जनवरी, 2018 को लालू को 5 साल की जेल और 10

लाख जुर्माना;

-दुमका --आरसी 38 (ए)/96 - (3.5 करोड़)

24/3/2018 को 7 - 7 (कुल 14 साल) की सजा और

30 - 30 लाख जुर्माना;

-डोरंडा कोषगार --आरसी 47 (ए)/96 - (139.35 करोड़ )

21 फरवरी, 2022 - 5 साल जेल और 60 लाख जुर्माना -

छठे केस का फैसला आना शेष है -

अक्टूबर, 2013 में आए फैसले के खिलाफ दिसंबर, 2013 को (यानी 9 साल पहले) लालू यादव ने झारखंड हाई कोर्ट में पहली अपील दायर की थी और उसके बाद हर सजा के खिलाफ वह अपील दायर करता गया -

झारखंड हाई कोर्ट में नवंबर, 2013 से अभी तक 6 चीफ जस्टिस रहे हैं जिनके नाम हैं -

-जस्टिस आर भानुमति (16 नवंबर, 2013 से 12 अगस्त, 2014);

-जस्टिस वीरेंद्र सिंह (1 नवम्बर, 2014 से 6 अक्टूबर, 2016 तक);

-जस्टिस पीके मोहंती (24 मार्च, 2017 से 9 जून, 2017 तक);

-जस्टिस अनिरुद्ध बोस (11 अगस्त, 2018 से 23 मई, 2019 तक);

-जस्टिस रवि रंजन (17 नवंबर, 2019 से 19 दिसंबर, 2022);

-जस्टिस संजय कुमार मिश्रा (20 फरवरी, 2023 से अब तक)

इन 6 जजों में जस्टिस भानुमति और जस्टिस अनिरुद्ध बोस सुप्रीम कोर्ट आ गए थे -

परंतु लालू यादव की किसी अपील पर अभी तक कोई सुनवाई हाई कोर्ट में नहीं हुई है - न्यायपालिका में इस तरह सजायाफ्ता अपराधियों के मामलों को लटकाना शोभा नहीं देता - लालू यादव को जब जब सजा हुई, उससे पहले वह अस्पताल में भर्ती होता रहा है और खुली राजनीति करता रहा है -

सुप्रीम कोर्ट के पास कोई ऐसा Mechanism होना चाहिए जिससे समय समय पर हर हाई कोर्ट में लटके मामलों की समीक्षा की जाए और उन पर जल्द निर्णय करने के लिए निर्देश जारी किए जाएं -

आपसे अनुरोध है, इस विषय पर गंभीर चिंतन होना चाहिए क्योंकि करोड़ो के घोटाले करने वाले अपराधी को जेल के बाहर नहीं होना चाहिए - जरा सोचिये क्या इन घोटालों में केवल लालू यादव जमानत का अधिकारी है जबकि बाकी सभी दोषी जेल में सजा काट रहे हैं -

कृपया झारखंड हाई कोर्ट को निर्देश दिए जाएं कि सभी मामलों पर सुनवाई कर 6 महीने में फैसले सुनाए जाएं -

(सुभाष चन्द्र)"मैं वंशज श्री राम का" का अपना पत्र है इस पत्र के लिए स्पेशल कवरेज न्यूज जिम्मेदार नहीं 

29/03/2023

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