Growing Population: आपदा में अवसर की तलाश है बढ़ती जनसंख्या
अगर देश की युवा आबादी का सही तरीके से प्रबंधन किया जाए तो भारत आर्थिक तौर पर एक महाशक्ति बनकर उभर सकता है।;
सत्यपाल सिंह कौशिक
अभी कुछ दिनों पहले आई संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की जनसंख्या चीन से ज्यादा हो गई है। या यूं कहें कि विश्व में सबसे ज्यादा। हालंकि,आबादी की सही जानकारी जनगणना के बाद ही चलेगा,जोकि 2021 में कोरोना की वजह से टाल दी गई थी और अभी तक लंबित है। निश्चितरुप से बढ़ती जनसंख्या के बहुत सारे दुष्परिणाम हैं। घटते प्राकृतिक संसाधन, बढ़ती बेरोजगारी, नागरिकों के प्रति व्यक्ति आय में कमी आदि कई ऐसे कारण हैं जिनकी देन जनसंख्या वृद्धि है। समय-समय पर देश में शासन किए भारत के विभिन्न राजनीतिक दलों की अदूरदर्शिता का परिणाम है बढ़ती जनसंख्या। हालांकि 80 के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जनसंख्या नियंत्रण की पहल की थीं जोकि कुछ दिनों में ही निष्प्रभावी हो गया। उसके बाद से फिर किसी भी राजनीतिक दल में इतनी हिम्मत नहीं हुई की वह जनसंख्या नियंत्रण पर कोई प्रभावी कानून बना सके। हालांकि,वर्तमान में देश की सत्ता पर शासन कर रहा एक राजनीतिक दल गाहे-बगाहे इस विषय पर बात करता है और समर्थन न मिलने पर चुप हो जाता है। बेरोजगारी की इतनी भीषण मार युवाओं में कुंठा पैदा कर रहा है और अगर उनको अवसाद की तरफ ले जा रहा है तो इसकी देन जनसंख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि है।
हालांकि विश्व में जापान जैसे देश भी हैं जोकि अपनी घटती जनसंख्या से परेशान हैं। वहाँ के उद्योगों में काम करने के लिए पर्याप्त श्रमबल उपलब्ध नहीं है,और स्थिति यह है कि वहाँ वृद्ध लोगों की आबादी लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में जनसंख्या बढ़ाने के लिए जापान अपने नागरिकों को कई तरीके का प्रलोभन दे रहा है। वहाँ एक से अधिक बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं को पुरस्कार और कई तरह के सामाजिक लाभ दिये जा रहे हैं।
अब देखना होगा कि हम बढ़ती जनसंख्या जैसी आपदा को अवसर में कैसे बदल पाते हैं। क्योंकि बढ़ती जनसंख्या केवल आपदा ही नहीं अवसर भी लेकर आती है।
भारत विश्व का सबसे युवा देश कहा जाता है। भारत की जनसंख्या में 0 से 14 वर्ष के युवा 25 फीसदी हैं तो 26 फीसदी युवा 10 से 24 साल के हैं। सिर्फ 7 फीसदी आबादी ही ऐसी है जो 65 साल से ऊपर है या यूं कहें की 7 प्रतिशत ही ऐसे लोग हैं जो बूढ़े हैं। तो वहीं चीन की बात करें तो वहां कुल आबादी के करीब 19 फीसदी लोग 60 साल से ऊपर के हैं अर्थात बूढ़े हैं। तेजी से गिरती आबादी की वजह से चीन में वर्कफोर्स की कमी हो गई। युवाओं की भारी कमी और सुरक्षा के लिहाज से अब चीन ने तीन बच्चों की नीति लागू की है।
अर्थव्यवस्था की बात करें तो आईएमएफ के अनुसार आने वाले वर्षों 2024 से लेकर 2026 तक में भारत की ग्रोथ रेट चीन से अधिक रहेगी और इसके 6.5 फीसदी या उससे अधिक रहने की संभावना है, जबकि चीन की अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट आएगी।
ऐसे में अगर देश की युवा आबादी का सही तरीके से प्रबंधन किया जाए तो भारत आर्थिक तौर पर एक महाशक्ति बनकर उभर सकता है। इसके लिए भारत को स्वास्थ क्षेत्र में भारी सरकारी निवेश की जरूरत होगी। इसमें भी महिलाओं, किशोर और नवजात बच्चों पर विशेष ध्यान देना होगा। युवाओं के लिए उच्च शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमशीलता पर अधिक निवेश की जरूरत होगी। शिक्षा व रोजगार के क्षेत्र में महिलाओं की अधिक भागीदारी की आवश्यकता होगी। आदि ऐसे कई क्षेत्र हैं जिनपर विशेष ध्यान देकर हम आर्थिक स्वावलंबन की तरफ बढ़ सकते हैं।
सी.आई.आई की रिपोर्ट के अनुसार भारत के सामने लगभग 30 वर्षों का समय है जिसमें यदि भारत जनसंख्या का उचित प्रकार से प्रबंधन कर लेता है तो 2047 तक भारत लगभग 40 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जायेगा।