पत्रकार परवेज़ का निधन, आप चले गए लेकिन यादों में हमेशा जिंदा रहोगे, बहुत याद आओगे

Journalist Parvez passes away

Update: 2023-12-26 09:26 GMT

परवेज़ अहमद। कॉलेज के दिनों मे 'नवभारत टाइम्स' के स्पोर्ट्स पेज पर उनकी रिपोर्टिंग पढ़ते थे तो ऐसा लगता था जैसे मैच को सामने से देख रहे हो। लेखन कला कमाल की थी। लफ्ज़ चलचित्र की तरह आंखों के सामने उतर आते थे। तब सोचा नहीं था कि उनसे कभी मुलाकात भी होगी। अगस्त 1999 में ज़ी न्यूज ज्वाइन किया तो परवेज़ जी को इनपुट एडीटर पाया। एक दिन आमना-सामना हुआ तो उनकी लिखी हुई कोई रिपोर्ट्स उन्हें सुना डाली। सुनकर बहुत खुश हुए बोले, 'तुम्हारी याददाश्त बहुत अच्छी है। इसे संभाल कर रखना। इस प्रोफेशन में बहुत काम आएगी बहुत आगे तक जाओगे।'

मैं डेस्क पर था आउटपुट में। परवेज़ जी इनपुट में थे। ज़ी न्यूज़ की पुरानी बिल्डिंग में हम ऊपर थर्ड फ्लोर पर बैठते थे प्रवेश जी इनपुट डिपार्टमेंट में नीचे ग्राउंड फ्लोर पर बैठते थे। कभी-कभी दुआ सलाम होती रहती थी। बाद में हम लोग भी ग्राउंड फ्लोर पर बैठने लगे।

जनवरी 2000 की बात है। परवेज़ जी ने मुझे टीवी रिपोर्टिंग का पहला मौका दिया था। उस दिन रविवार था। हम डेस्क पर बाहर से आई हुई स्टोरी बना रहे थे। दोपहर करीब 12:00 बजे के आसपास परवेज़ जी आए और डेस्क इंचार्ज नवीन शर्मा से पूछा यार कोई रिपोर्टिंग के लिए जा सकता है क्या? आज अनुराधा प्रीतम छुट्टी पर है। गाजियाबाद की खबर है। ट्यूशन पढ़ने वाली एक टीचर अपने कुछ छात्रों के साथ घर से चली गई थी। नवीन जी ने हाथ खड़े कर दिए। बोले कि हमारे पास तो वैसे भी स्टाफ कम है। डेक्स वालों को रिपोर्टिंग कहां आती है। परवेज़ जी चले गए। उनके जाने के बाद मैंने नवीन जी से मैंने कहा कि अगर डेस्क का काम आप संभाल ले तो मैं रिपोर्टिंग कर सकता हूं। नवीन शर्मा ने पूछा, 'पक्का रिपोर्टिंग कर लोगे? नाक तो नहीं कटवा दोगे?' मैंने कहा, 'नहीं, आपका भरोसा नहीं छोड़ूंगा। मैंने अखबार की रिपोर्टिंग की है ढाई साल। मैं कर लूंगा।' नवीन जी मुझे परवेज़ जी के पास ले गए और बोले, 'इसे भेज दो। यह कर लेगा। स्क्रिप्ट अच्छी लिखता है। परवेज जी ने पूछा था, 'पहले कभी रिपोर्टिंग की है?' मैंने कहा, 'सर टीवी में तो कभी नहीं की। अखबार में ढाई साल रिपोर्टिंग की है। 6 महीने से यहां बाहर से आई हुई रिपोर्ट बना रहा हूं। मैं कर लूंगा आपको निराश नहीं करूंगा। परवेज़ जी के निर्देश पर मुझे फौरन कैमरा यूनिट मिल गई। पहली बार रिपोर्टिंग पर गया।

दिन भर की खास छानी। टीचर के घर गए उनकी मां से बात की गायब होने वाले बच्चों के घर गए रोटी भी लगता परिवारों के विजुअल्स लिए और बिट्स वगैरह लेकर लौटे। लौटकर रिपोर्ट बनाई। बात आई गई हो गई। तीन दिन बाद प्रवेज़ जी डेस्क पर आए। नाराज होते हुए मुझसे बोले कि जब तुम खबर करके आए थे तो फॉलो क्यों नहीं किया। मैंने कहा सर मैं तो रिपोर्टिंग में हूं नहीं। उस दिन अनुराधा प्रीतम नहीं थी। इसलिए मैं चला गया था बोले तुम्हें कुछ पता भी है? तुम्हारी खबर देखकर ही वो लड़की और बच्चे वापस आए हैं। हिंदुस्तान टाइम्स में इस बात का जिक्र है। तुम खबर करके आए तो फॉलो भी तुम्हें करना चाहिए था। आगे से ध्यान रखना। मैंने आगे से ध्यान रखने का भरोसा दिया। वो मेरी पीठ थपथपा कर चले गए।

मेरे अंदर रिपोर्टिंग का कीड़ा कुलबुलाने लगा था। ज़ी न्यूज ज्वाइन करने से पहले 'दैनिक नवज्योति' अखबार के लिए मैं करीब ढाई साल तक राजनीतिक रिपोर्टिंग कर चुका था। संसद में लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही भी कवर कर चुका था। एक दिन मेरी नजर असाइनमेंट पर पड़े इन्विटेशंस पर पड़ी। एक इनविटेशन था नक्सलवाद से प्रभावित राज्यों के डीजीपी की पहली बैठक कवर करने का। ये बैठक तात्कालीन गृहमंत्री आडवाणी जी के साथ होनी थी। मैं इनविटेशन लेकर परवेज़ जी के पास गया। उनसे बोला, 'सर, संडे मेरी छुट्टी होती है। मैं छुट्टी के दिन यह बैठक कवर करना चाहता हूं। बैठक बहुत महत्वपूर्ण है। अगर आपकी रिपोर्टिंग टीम से से कोई इसे कवर नहीं कर रहा हो तो मैं य खबर कर करना चाहूंगा।'

परवेज़ जी ने कहा कि इतनी महत्वपूर्ण बैठक के बारे में अभी तक मुझे किसी रिपोर्टर ने चर्चा नहीं की है ना मुझे इसकी जानकारी दी है। तुम ये जानकारी लेकर मेरे पास आए हो तो इस खबर पर तुम्हारा हक़ बनता है। इसी वक्त उन्होंने मुझे यह खबर उन्होंने मुझे असाइन कर दी।

6 फरवरी 2000 को ये खबर करने सुबह 6:00 बजे निकल गया था और देर रात तक लौटा। इसी दिन नॉर्थ ब्लॉक में रवीश कुमार से पहली मुलाकात हुई थी। वह भी यही खबर करने आए थे। तब से रवीश से अच्छी खासी दोस्ती हो गई। इस खबर को मैंने बहुत मन से बनाया। नक्सल प्रभावित राज्यों में हुई घटनाओं का ब्योरा ग्राफिक्स प्लेट पर दिया। रात को 12:30 बजे खबर बनाकर तैयार हुई। उसी दिन यह सूर्य प्रकाश ने भी बतौर एडिटर ज्वाइन किया था। उन्हें खबर की स्क्रिप्ट बहुत पसंद आई। खासकर ग्राफिक्स में दिए हुए आंकड़ों से वह काफी प्रभावित हुए। यह खबर चली और ज़ी न्यूज़ के सभी एडिटर्स ने इसकी तारीफ की। इस खबर के बाद मुझे रिपोर्टिंग में लेने का फैसला किया गया। मुझे डेस्क से रिपोर्टिंग में ट्रांसफर करने की सिफारिश प्रवेश जीने की थी और यह सूर्य प्रकाश और शैलेश जी ने इसका समर्थन किया था। नवीन शर्मा शुरुआत में नाराज हुए बोले कि यार तुम्हें एक रिपोर्टिंग के लिए क्या भेज दिया तूने तो पल ही बदल लिया। लेकिन बाद में एक हफ्ते बाद मुझे रिलीव करते हुए शाबाशी देते हुए बोले कि जैसे आउटपुट में बढ़िया किया है इस तरह इनपुट में भी बढ़िया रिपोर्टिंग करना ज़ी न्यूज़ में बतौर रिपोर्टर स्थापित करने में प्रवेश जी की बड़ी भूमिका थी उनका यह आसान जिंदगी भर नहीं भूल पाऊंगा।

परवेज़ जी के ज़ी छोड़ने के बाद भी लगातार उनसे संपर्क बना रहा। प्रेस क्लब में थे तो अक्सर उनसे मुलाकात होती रहती थी। कुछ महीनों पहले वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक जी के अंतिम संस्कार में उनसे मुलाकात हुई थी। उन्होंने घर भी बुलाया था। लेकिन जाना नहीं हुआ। कल उनके इंतकाल की खबर सुनकर गहरा धक्का लगा। ऐसा लगा जैसे अपना कोई सरपरस्त चला गया। उनसे जुड़ी तमाम बातें याद आती चली गई। उनकी तद्फीन में शामिल न हो पाने का हमेशा अफसोस रहेगा।

अल्लाह परवेज़ जी को जन्नत में आला मकाम अता फरमाए। 

Tags:    

Similar News