23 मई 2023 को रणजीत गुहा 100 वर्ष के हो जाएंगे

हिंदी पट्टी या हिंदी जन क्षेत्र' में सबाल्टर्न जाति, धर्म, कला, संस्कृति, व्यक्ति और समुदायों के अर्थ में खूब प्रचलित हो रहा है;

Update: 2021-09-24 06:51 GMT

: रमाशंकर सिंह 

उन्होंने अपने जीवन और कर्म से दुनिया में इतिहास लेखन को बहुत कुछ दिया है।

एक जमाना था कि उनकी और उनके साथियों की इस आधार पर आलोचना की गई कि वे परिष्कृत अंग्रेज़ी लिखते हैं, सात समुंदर पार बैठकर भारत का इतिहास लिख रहे हैं और आज एक जमाना है जब 'सबाल्टर्न' शब्द काफी अर्थ विस्तार पा चुका है।

'हिंदी पट्टी या हिंदी जन क्षेत्र' में सबाल्टर्न जाति, धर्म, कला, संस्कृति, व्यक्ति और समुदायों के अर्थ में खूब प्रचलित हो रहा है।

अभिलेखागारों से निकलकर अब यह शब्द चौक चौराहों पर पहुँच गया है। मैंने पिछले वर्ष बिहार के एक मुख्यमंत्री के भाषणों की संपादित किताब खरीदी थी तो उसमें उस मुख्यमंत्री को 'सबाल्टर्न' कहा गया था।

बनारस के एक आलोचक हैं जिनके 'प्रशंसक' उनको 'सबाल्टर्न' कहते हैं।

दिल्ली का एक शोध छात्र है, हिंदी साहित्य का। वह भी खुद को 'सबाल्टर्न बुद्धिजीवी' कहता है।

यह तीनों बहुजन तबके से आते हैं।

कहने का आशय है कि अर्थ चालीस साल पहले खोजा गया था, 1982-83 में, अर्थ विस्तार अब पा रहा है।

सबाल्टर्न इतिहास शृंखला ने समाज विज्ञान और साहित्य को जिस तरह से प्रभावित किया है, उसकी पड़ताल करते हुए रणजीत गुहा पर खूब लिखा जाना चाहिए। उनका अनुवाद हो, उनके लिखे पर बहस हो।

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