Rashtriya Swayamsevak Sangh: क्या खतरे में पड़ा संघ का वजूद? जानिए दिलचस्प हैरान कर देने वाली स्टोरी

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के शिवलिंग व मस्जिद विवाद पर जो बयान आया है

Update: 2022-06-04 06:54 GMT

संतोष सिंह 

Rashtriya Swayamsevak Sangh: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के शिवलिंग व मस्जिद विवाद पर जो बयान आया है उससे देश की राजनीति गरमा गई है और अब एक राय ये भी है सामने आ रही है कि संघ अब भाजपा के उग्र हिन्दुत्ववादी आन्दोलन और फैसले से अपने आपको अलग करना चाह रही है ।

इसके पीछे की राजनीति पर चर्चा करने से पहले मोहन भागवत ने कहा क्या है पहले यह पढ़ लेते हैं मोहन भागवत ने कहा कि क्यों हर बार मस्जिद में आप केवल शिवलिंग ही देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी आस्था से जुड़ा मसला है जिसकी लड़ाई कोर्ट में लड़ी जा रही है। इस मामले को आपसी सहमति से निपटाया जाना चाहिए। लेकिन हर मस्जिद में शिवलिंग खोजना सही नहीं है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के फिल्मांकन के विवाद पर आपसी समझौते के माध्यम से रास्ता का आह्वान किया। आरएसएस चीफ ने कहा कि कुछ जगहों के प्रति हमारी विशेष भक्ति थी और हमने उनके बारे में बात की लेकिन हमें रोजाना एक नया मामला नहीं लाना चाहिए। हम विवाद को क्यों बढ़ाएँ? ज्ञानवापी के प्रति हमारी भक्ति है और उसके अनुसार कुछ करना ठीक है।

लेकिन हर मस्जिद में शिवलिंग देखना ठीक नहीं है। यह क्यों किया जा रहा है।सड़क पर ज्ञानवापी के लिए कोई आंदोलन नहींआरएसएस प्रमुख ने कहा कि सड़क पर ज्ञानवापी के लिए कोई आंदोलन नहीं और ना ही इसको लेकर कोई विवाद खड़ा करना है ,हम इतिहास नहीं बदल सकते। इसे न तो आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने। यह उस समय हुआ जब इस्लाम हमलावरों के माध्यम से बाहर से आया था। हमलों में, देवस्थानों को ध्वस्त कर दिया गया था। बाहरी हमलावरों ने यह इसलिए किया क्योंकि वह उन लोगों का मनोबल गिराना जो भारत की स्वतंत्रता चाहते थे। मोहन भागवत के इस विचार को आगे बढ़ाते हुए संघ विचारधारा से जुड़े वरिष्ट पत्रकार डाँ वेदप्रताप वैदिक ने एक लेख लिखा है जिसमें लिखा है कि भारतीयता का ही दूसरा नाम हिंदुत्व है और 1991 में जो कानून बना है इसका पालन करना चाहिए ।

1-खतरे में है नागपुर की बादशाहत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के शिवलिंग व मस्जिद विवाद पर जो बयान आया है ये कोई आत्म परिवर्तन वाली बात नहीं है ,नागपुर की बादशाहत खतरे में पड़ गयी क्यों कि जैसे जैसे इस तरह का सवाल खड़ा होगा नागपुर कमजोर होगा ।

याद करिए राम मंदिर आन्दोलन के दौरान विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल का जलवा क्या था आज उसी आन्दोलन के बदौलत भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन गयी है लेकिन आज विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल कहां है ।

प्रवीण तोगड़िया थोड़े टाइट हुए तो गुजरात में ही उनको मारने की साजिश रच दी गयी और इसका अभास जैसे ही हुआ तोगड़िया रातोंरात विश्व हिन्दू परिषद के पदाधिकारी का पद छोड़ भाग खड़े हुए ।

इसी तरह बजरंग दल का नायक विनय कटियार कहां है इसकी एक बड़ी वजह है याद करिए राम मंदिर आन्दोलन का वो दौर संघ का मुख्यालय भले ही नागपुर था लेकिन सारी गतिविधियों का केंद्र दिल्ली स्थिति विश्व हिन्दू परिषद का कार्यालय बन गया था और उस दौर में झंठे वाला में स्थिति संघ कार्यालय की पहचान खत्म होने के कगार पर आ गया था ,जो संघ को नागवार गुजरा और फिर विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल और दुर्गा वाहिनी से जुड़े पदाधिकारियों का पर कतरना शुरु कर दिया और इसी कड़ी में कल्याण सिंह ,कटियार ,उमाभारती सहित बीजेपी से जुड़े ऐसे तमाम नेता को कमजोर किया गया जो विश्व हिन्दू परिषद या हिन्दूवादी राजनीति के प्रभाव में थे।

2–योगी के दूसरी बार सीएम बनने से संघ सहज नहीं है

योगी के दोबारा चुने जाने के बाद से संघ और मोदी टीम को यह खतरा महसूस होने लगा है कि हिन्दू मुस्लिम की राजनीति परवान चढ़ी तो यूपी में इस तरह के दर्जनों मामले हैं जिसके सहारे योगी राष्ट्रीय पटल पर अपनी पकड़ मजबूत कर सकती है ।

योगी की छवि भी वाजपेयी की तरह सॉफ्ट नहीं है वही पहनावा-ओढावा भी संत साधु जैसा है जो हर भारतीय के अंतश्चेतना में पहले से बसा हुआ है जैसे गांधी का बसा हुआ है।

हालांकि संघ पहले से ही योगी को लेकर सतर्क था जब योगी के यूपी के मुख्यमंत्री बनने की बात हुई तो संघ ने योगी के सामने शर्त रखा था कि गोरखपुर मठ के गतिविधि से दूर रहेंगे और साथ ही उनकी जो संस्था है हिन्दू युवा वाहिनी उसको किसी भी तरह का मदद सरकार से नहीं मिलनी चाहिए और आप इस संस्थान को तत्काल भंग कर दे ।

हालांकि योगी मठ से तो दूरी नहीं बना सके लेकिन हिन्दू युवा वाहिनी से दूरी जरूर बना कर रखा लेकिन यूपी विधानसभा चुनाव के ठीक पहले शाह की गतिविधि से नाराज होकर एक बार फिर से हिन्दू युवा वाहिनी को सक्रिय कर दिया था और चार चरण के चुनाव के बाद जिस तरीके ये मोदी और शाह की तस्वीर को पूरे इलाके से हटाया गया था उसमें हिन्दू युवा वाहिनी से जुड़े कार्यकर्ताओं का ही हाथ था।

संघ को लगता है कि हिन्दू मुसलमान नैरेटिव की बात फिर चली तो यूपी में इसकी काफी गुंजाइश अभी भी बची हुई है ।

लोकसभा सीट के दृष्टिकोण से सबसे बड़ा राज्य भी है और ऐसे में योगी जैसे जैसे मजबूत होगा नागपुर का प्रभाव कम होता जायेंगा वैसे भी महाराष्ट्र और गुजरात में संघ और मोदी संचालित बीजेपी अंतिम सांसे ले रही है मध्यप्रदेश और राजस्थान योगी का स्वाभाविक सहयोगी है ,कर्नाटक और नॉर्थ ईस्ट में पहले से ही गोरखपुर मठ की पकड़ मजबूत है।

इसलिए संघ और टीम मोदी इस तरह के मामले से दूरी बनायेगा क्यों कि कश्मीर एक बार फिर मुखर होने लगा है और अब पाकिस्तान में ना तो इमरान है और ना ही अमेरिका में ट्रम्प है ऐसे में कश्मीर इनके लिए वाटरलू साबित हो जाये तो बड़ी बात नहीं होगी और ऐसा हुआ तो योगी और मजबूत होगे ऐसे में आने वाले दिनों में संघ और मोदी टीम मुसलमानों के घर सेवई और टोपी पहनने पहुंच जाएं तो कोई बड़ी बात नहीं होगी ।

लेखक संतोष सिंह संघ का स्वयंसेवक रहा है और तीस वर्षो से संघ के गतिविधियों को काफी करीब से देख रहा है और यह आलेख उसी अनुभव और संघ और बीजेपी से जुड़े कार्यकर्ताओं के बातचीत पर आधारित है ।

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