भारत पाकिस्तान सयुंक्त सैन्य युद्धाभ्यास की आलोचना करना गलत, लेकिन ये काम करना भी गलत है

Update: 2018-09-02 06:18 GMT

अनिल जैन 

भारत और पाकिस्तान की सेना के संयुक्त रूप से जारी युद्धाभ्यास के लिए मोदी सरकार की काफी आलोचना हो रही है, जो बिल्कुल भी उचित नहीं है। भारत और पाकिस्तान के बीच शांतिपूर्ण संबंध के लिए यह बेहद जरुरी है कि दोनों देशों के सैनिक आपस में मिले-जुले और युद्धाभ्यास भी करें।


सिर्फ सैनिक ही क्यों, दोनों देशों के लेखकों, साहित्यकारों, कलाकारों, पत्रकारों, खिलाडियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, राजनेताओं, राजनयिकों और दूसरे लोगों के भी आपस में मिलने का सिलसिला शुरू होकर तेज होना चाहिए। ऐसा होने पर ही दोनों देशों के बीच बनी अविश्वास और बदअमनी की दीवार दरकेगी और दरकते-दरकते टूटेगी भी।


लेकिन इस सिलसिले में प्रधानमंत्री मोदी जी को चाहिए कि वे अपनी सरकार के उन बुद्धि-विरोधी मंत्रियों और पार्टी प्रवक्ताओं को मूर्खतापूर्ण बयानबाजी करने से भी रोके, जो हर बात पर अपने विरोधियों को पाकिस्तान जाने की सलाह दे डालते हैं या जो पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण के मौके पर भारत के एक पूर्व क्रिकेटर और कांग्रेस की एक सूबाई सरकार के मंत्री के शामिल होने पर हायतौबा मचाते हुए उसे देशद्रोही और पाकिस्तान का एजेंट करार दे रहे हैं।

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