मॉब लिंचिंग पर पीएम मोदी को खुला खत लिखने वाले 50 लोगों के खिलाफ FIR, जानें- पूरा मामला

पीएम को जिन 49 लोगों ने खुला खत लिखा था उसमें मणिरत्नम, अदूर गोपालकृष्णन, अनुराग कश्यप और अपर्णा सेन, कोंकणा सेन शर्मा, सौमित्र चटर्जी जैसे कई फिल्म निर्देशक और अभिनेता शामिल थे।

Update: 2019-10-04 05:44 GMT

जुलाई में देश के अलग-अलग क्षेत्र की 50 नामी-गिरामी हस्तियों ने मॉब लिंचिंग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखा था। वहीं, पीएम मोदी को खुला खत लिखने वाले रामचंद्र गुहा, मणिरत्नम, अपर्णा सेन समेत 50 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। स्थानीय वकील सुधीर कुमार ओझा की ओर से दो महीने पहले दायर की गई याचिका पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सूर्यकांत तिवारी के आदेश पर ये मामला दर्ज किया गया है।

सुधीर कुमार ओझा ने कहा कि सीजेएम ने 20 अगस्त को उनकी याचिका स्वीकार कर ली थी। इसके बाद गुरुवार को पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज हुई। ओझा का आरोप है कि इन हस्तियों ने देश और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को कथित तौर पर धूमिल किया। पुलिस ने इस मामले में बताया कि आईपीसी की संबंधित धाराओं में ये केस दर्ज किया गया है। इसमें राजद्रोह, उपद्रव, शांति भंग करने के इरादे से धार्मिक भावनाओं को आहत करने से संबंधित धाराएं लगाईं गई हैं।

बीते 23 जुलाई को पीएम को जिन 49 लोगों ने खुला खत लिखा था उसमें मणिरत्नम, अदूर गोपालकृष्णन, अनुराग कश्यप और अपर्णा सेन, कोंकणा सेन शर्मा, सौमित्र चटर्जी जैसे कई फिल्म निर्देशक और अभिनेता शामिल थे। इन लोगों ने देश में मॉब लिंचिंग घटनाओं को अपनी चिंता व्यक्त की थी।

इतिहासकार रामचंद्र गुहा, डॉक्टर और सामाजिक कार्यकर्ता विनायक सेन, विद्वान और समाजशास्त्री आशीष नंदी उन लोगों में से हैं जिन्होंने पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। इस पत्र में कहा गया था, 'प्रधानमंत्री जी आपने संसद में इस तरह की लिंचिंग की आलोचना कि लेकिन ये पर्याप्त नहीं है। वास्तव में अपराधियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई? अफसोस है कि 'जय श्री राम' एक भड़काऊ युद्ध बन गया है। आज ये कानून व्यवस्था के लिए समस्या बन गया है और कई लिंचिंग की घटनाएं इसके नाम पर हो रही हैं।'

कला, साहित्य और अन्य क्षेत्रों से जुड़ी 49 हस्तियों ने 23 जुलाई काे मोदी के नाम खुला पत्र लिखा था। इसमें मुस्लिम, दलित और अन्य समुदायों के खिलाफ भीड़ द्वारा की जा हिंसा (मॉब लिंचिंग) पर रोक लगाने की मांग की गई थी। इस चिट्ठी में अपर्णा सेन, कोंकणा सेन शर्मा, रामचंद्र गुहा, अनुराग कश्यप, शुभा मुद्गल जैसे अलग-अलग क्षेत्र के दिग्गजों के हस्ताक्षर थे। सरकार ने चिट्ठी में लगाए आरोपों को खारिज किया था।

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