झारखंड मॉब लिंचिंग केसः पत्नी ने रोते रोते कहा तबरेज़ अंसारी तो गाँव वालों के लिए सोनू थे!

Update: 2019-06-25 11:49 GMT

शाइस्ता परवीन चार दिन बाद पुणे जाने वाली थीं. वहाँ उनके पति नौकरी करते थे. बीते 24 अप्रैल को ही शादी हुई थी. शादी के बाद ईद मनाई और सब कुछ ठीक चल रहा था. ये सिलसिला 18 जून की सुबह एक फोन से उस वक़्त रुक गया जब दूसरी तरफ़ उनके पति तबरेज़ अंसारी उर्फ़ सोनू की कांपती आवाज़ सुनाई दी, "शाइस्ता मुझे बचा लो. ये लोग मुझे बहुत मार रहा है. रात भर पिटाई किया है."

रांची से 130 किलोमीटर दूर सरायकेला-खरसांवा ज़िले के कदमडीहा गाँव के तबरेज़ अंसारी पर बीते 17 जून को भीड़ ने चोरी का आरोप लगाया. फिर जमकर पिटाई की. अगले दिन 18 जून को पुलिस ने उन्हें गिफ़्तार कर जेल भेज दिया. इस दौरान तबीयत ख़राब होने से 22 जून को उनकी मौत हो गई.

मामले में अब तक 11 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. ये हैं- भीमसेन मंडल, प्रेमचंद महली, कमल महतो, सोनामो प्रधान, सत्यनारायण नायक, सोनाराम महली, चामू नायक, मदन नायक, महेश महली और सुमंत महतो. साथ ही खरसांवा थानेदार चंद्रमोहन उरांव और थाना प्रभारी विपिन बिहारी सिंह को सस्पेंड कर दिया गया है.

घटना ज़िले के धातकीडीह गाँव में हुई. फ़िलहाल पुलिस वहां कैंप कर रही है. तबरेज़ कदमडीहा गाँव के रहने वाले थे जहाँ लगभग 1000 घर हैं. इसमें आठ घर हिंदू, बाक़ी सब मुसलमान हैं. दोनों गाँवों में दूरी चार किलोमीटर की है.

कदमडीहा से ठीक चार किलोमीटर दूरी पर केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री और इलाक़े के सांसद अर्जुन मुंडा का गाँव खेजुरदा है. 23 जून को वो इसी इलाक़े में बीजेपी कार्यकर्ता सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल भी हुए थे लेकिन तबरेज़ के परिजनों का हाल लेने नहीं पहुंचे.

तबरेज़ अंसारी का घर

24 जून की दोपहर एक बजे कदमडीहा गाँव में मृतक तबरेज़ अंसारी के घर भीड़ लगी थी. कांग्रेस पार्टी के कुछ नेता बैठे थे. उन्हें घेरे 50 से अधिक गाँव वाले. नेताओं ने बांह पर काली पट्टी बांध रखी थी. एक ने कहा, "जितने दुखी आपलोग हैं, उससे कहीं भी कम हमलोग नहीं हैं. इस लड़ाई में जिस तरह की सहायता चाहिए, हम वो सब करने के लिए तैयार हैं. पार्टी की तरफ़ से एक जांच कमेटी बनाई गई है." नेताओं के जाते ही तबरेज़ अंसारी के दोनों चाचा मशरूर आलम (36) और मक़सूद आलम (33) से बात हुई.

पेशे से कार मैकेनिक मक़सूद आलम ने बताया कि तबरेज़ के पिता मशकूर आलम की मृत्यु 12 साल पहले हो चुकी है. वहीं मां समसुन निशा की मृत्यु भी 18 साल पहले हो चुकी है. इसकी एक बहन है, जिसकी शादी हो गई है. उन्होंने कहा, "ईद के बाद से तो वो ससुराल में ही था. बीच-बीच में कुछ घंटों के लिए घर आ जाता था. ससुराल पास के ही गांव बेहरासाही में है."

चार दिन बाद शाइस्ता को साथ जाना था पुणे

तबरेज़ की पत्नी शाइस्ता का ज़िक्र हुआ. मक़सूद आलम ने बताया, "अभिए तो उठी है, सुबह से पानी चढ़ रहा था." वो उस कमरे में लेकर गए जहां शाइस्ता बैठी थीं. मां शहबाज बेगम (39) और चचेरी सास नेहा परवीन (26) के सहारे वो थोड़ी ही देर पहले उठ कर बैठी हैं. बीते तीन दिन से उनकी तबीयत ख़राब है. उसे लो ब्लड प्रेशर की समस्या हो गई है. वो बमुश्किल बोल पा रही थीं.

इस सवाल पर कि आख़िरी बातचीत क्या हुई थी? शाइस्ता ने बोलने की कोशिश की, लेकिन लगा कि वह रो देंगी और वो चुप हो गईं. फिर उन्होंने कहा, "17 जून की रात को दस बजे उन्होंने फ़ोन किया और कहा कि जमशेदपुर से लौट रहा हूं. फिर दोबारा कॉल सुबह में आया. बता रहे थे कि गाँव वालों ने पकड़ कर उनको बेरहमी से मारा. फिर मैं रिश्तेदारों को फ़ोन करने लगी."वो चुप हो गईं. सास नेहा परवीन ने कहा इसकी तबीयत ख़राब है, ज़्यादा बात मत कीजिए.


इंसाफ़ चाहिए

शाइस्ता के पिता शेख सैफुद्दीन (40) सिलाई का काम करते हैं. वह मानसिक तौर पर थोड़े कमज़ोर हैं. शाइस्ता की मां शहबाज़ बेगम ने रोते हुए कहा, "बहुत ख़ुश थी मैं कि बेटी बाहर जाकर रहेगी. दामाद भी मेरा अच्छा था. बेटी का जीवन है, ऐसे थोड़े न छोड़ देंगे. कुछ न कुछ तो करेंगे ही."इस बीच चचेरी सास नेहा परवीन ने कहा, "फैमिली मैटर का छोड़िए अभी. फ़िलहाल तो इंसाफ़ चाहिए."


गाँव के दो और युवक हैं ग़ायब

तबरेज़ अंसारी के बड़े चाचा मशरूर आलम पेशे से आलिम हैं. बच्चों को पढ़ाते हैं. उन्होंने बताया, "सोनू तो पिछले सात साल से पुणे में नौकरी करता था. साल, दो साल में घर आता था."वहीं, गाँव के ही रिश्ते में चाचा लगने वाले अकबर ज़िया ने बताया, "घटना से एक दिन पहले ही वो गाँव में मुझे मिला था. मैंने पूछा भी कि अरे केतना दिन से यहां है जी, कब जाएगा पुणे? उसने कहा भी कि चचा चार दिन बाद जा रहे हैं. फिर अगले साल ईद में आएंगे."

उन्होंने बताया चूंकि वो गाँव बहुत कम आता था, इसलिए उसके दोस्त भी बहुत कम हैं. गाँव वालों ने बताया कि तबरेज़ के साथ दो लड़के नुमेर अली (14) और इरफ़ान (15) थे जो इसी गाँव के थे. घटना की रात के बाद दोनों ही ग़ायब हैं. नुमेर अली के पिता उमर अली ने शिकायत दर्ज करवाई है. वहीं इरफ़ान के पिता नज़ीर (50 वर्ष) 24 जून की शाम तक इंतजार ही कर रहे थे. उन्होंने कहा उनका बेटा बिना कुछ कहे घर से निकला था. पता नहीं वो कहीं भाग गया या मर गया.


'गाँव से सभी पुरुष फरार'

अब उस गांव की बात जहां ग्रामीणों ने तबरेज़ को पीटा था. वायरल वीडियो के मुताबिक जय श्रीराम के नारे लगवाए. कदमडीहा से चार किलोमीटर दूर धातकीडीह पहुंचने पर सड़क पर बड़ी संख्या में महिलाएं और पुलिस की गाड़ियां दिख रही थीं. कोई भी पुरुष दिखाई नहीं दे रहा था. लाठी के सहारे खड़े एक बूढ़े व्यक्ति ओमिन नायक दिखाई दिए. उन्होंने बताया घटना नीचे टोला में हुई है, यह तो ऊपर टोला है. आप वहां जाइए.

पुलिस कैंप का नेतृत्व कर रहे सरायकेला एसडीपीओ अविनाश कुमार ने कहा, "सभी बिंदुओं पर तहक़ीक़ात की जा रही है. जो भी इस घटना में शामिल है, सभी की पहचान की जा रही है. गाँव में एक भी पुरुष नहीं है. पुलिस जब घरों में घुसेगी तब महिला पुलिसकर्मियों को बुलाया जाएगा." उन्होंने साफ़ कहा कि यह मॉब लिंचिंग का मामला है. अविनाश कुमार मामले को लेकर गठित एसआईटी का नेतृत्व भी कर रहे हैं.

डीजीपी का लिंचिंग से इनकार

इधर, रांची में डीजीपी कमल नयन चौबे ने इस मामले को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. उन्होंने कहा, "मुरमू गांव में तीन लड़कों ने एक मोटरसाइकिल चोरी की. इसके बाद वो पास के गांव धतकीडीह के एक घर में घुसे. यहां मकान मालिक जाग गया और इसके बाद लोगों ने तबरेज़ को पकड़ लिया. दो युवक वहां से भाग गए." उन्होंने कहा, "तबरेज़ की अधिक पिटाई होने से मौत हो गई है. फ़िलहाल मॉब लिंचिंग जैसा कुछ नहीं है. घटना से संबंधित वीडियो को जांच के लिए भेज दिया गया है."

तबरेज़ की मौत

तबरेज़ के बड़े चाचा ने बताया, "जब 18 जून की सुबह वह सरायकेला थाना पहुंचे. देखे कि वो लॉक अप में बंद है. उसकी तबीयत बहुत ख़राब थी. मैंने थाना प्रभारी विपिन बिहारी से कहा की पहले इसका इलाज करवाइए, फिर आपको जो करना होगा कीजिएगा. फिर बाद में पता चला कि उसको उसी हालात में जेल भेज दिया गया."

"दूसरे दिन जेल में जब मिलने गए तब भी उसकी हालत बहुत ख़राब थी. दो पुलिसकर्मी जबर्दस्ती उसको पकड़ कर लाए थे. वो बात भी नहीं कर पा रहा था. बेहतर इलाज के लिए एक बार फिर विपिन बिहारी सिंह से संपर्क किए. वह नहीं माने. जेल के डॉक्टर पीके पति से मिलने की कोशिश की, लेकिन मुलाक़ात नहीं हो पाई."

छोटे चाचा मक़सूद आलम ने बताया, "22 तारीख़ को हमलोगों को पता चला कि तबरेज़ की तबीयत बहुत ख़राब है, उसे सदर अस्पताल लाया जा रहा है. हमलोग भी वहां 7.30 बजे सुबह पहुंचे. देखे कि उसके शरीर पर उजली चादर लिपटी हुई है."

केस की जांच कर रहे एसडीपीओ अविनाश कुमार ने बताया कि पुलिस ने तबरेज़ के पास से एक बाइक, एक पर्स, एक मोबाइल, चाकू बरामद किया है.

डीजीपी ने कहा कि पुलिस की तरफ़ से किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती गई. इधर दो पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया. उन पर आरोप हैं कि उन्होंने अपने वरीय अधिकारियों को मॉब लिंचिंग की जानकारी नहीं दी.

साभार BBC

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