विधानसभा की एक भी सीट जीते बिना भाजपा मुख्य विपक्षी पार्टी बनी!

सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग की अगुवाई वाले सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के दस विधायक मंगलवार को भाजपा में शामिल हो गए हैं.

Update: 2019-08-13 13:07 GMT

 शिवानंद गिरि

क्या कोई पार्टी बिना कोई सीट जीते किसी राज्य का मुख्य विपक्षी पार्टी बन सकता है।इसका उत्तर भले ही देने में आप असमंजस में होंगे लेकिन राजनिगी में सब जायज है और ऐसा ही हुआ है सिक्किम में। भाजपा ने सिक्किम में दूसरे दाल के 10 विधायकों को अपने दाल में मिलाकर न सिर्फ नया खेल खेला है बल्कि मुख्य विपक्षी पार्टी भी बन गई है।

सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग की अगुवाई वाले सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के दस विधायक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए हैं. मंगलवार को एसडीएफ के इन विधायकों ने नई दिल्ली में पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा और महासचिव राम माधव की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की. एसडीएफ छोड़ने वाले इन नेताओं में दोरजी सेरिंग, उकेन ग्याल, नरेंद्र कुमार सुंगा, डीआर थापा, करमा सोरिंग लेप्चा, केबी रॉय, टीटी भूटिया, परवंती तमांग, पिंटो नामग्याल और लेप्चा राजकुमारी थापा शामिल हैं. दिलचस्प बात है कि बीते विधानसभा चुनाव तक इस राज्य में भाजपा एक भी सीट नहीं जीत पाई थी, लेकिन अब एक झटके में यहां उसके दस विधायक हो गए हैं. इसके साथ ही वह राज्य में मुख्य विपक्षी दल बन गया है.




 एसडीएफ विधायकों के पार्टी में शामिल होने के मौके पर पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए राम माधव ने कहा, 'बीते 25 साल से सिक्किम की सत्ता में रही एसडीएफ ने पिछले विधानसभा चुनाव में 15 सीटें जीती थीं. लेकिन उसके दो विधायक दो-दो सीटों पर निर्वाचित हुए थे ऐसे में उसकी कुल प्रभावी सीटों की संख्या 13 है. इनमें 10 विधायकों ने भाजपा में आने का फैसला किया है. इनके हमारे साथ आने से अब भाजपा सिक्किम में सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएगी.'

वहीं इस मौके पर भाजपा में शामिल हुए दोरजी सेरिंग ने कहा, 'सिक्किम में तीन सीटों पर उपचुनाव होना है. उन सीटों पर हम भाजपा की जीत के लिए काम करेंगे.' उन्होंने आगे कहा कि पूर्वोत्तर भारत के नौजवान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'नॉर्थ-ईस्ट पॉलिसी' को पसंद कर रहे हैं. ऐसे में हमारी कोशिश होगी कि वहां भी 'कमल खिलाया' जाए.

पवन कुमार चामलिंग के नाम लगातार 25 साल की लंबी अवधि तक सिक्किम का मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड रहा है. लेकिन लोकसभा के पिछले चुनाव के साथ ही हुए सिक्किम विधानसभा के चुनाव में उनकी पार्टी को 32 में से सिर्फ 15 पर ही जीत मिल पाई थी. इसकी वजह से उन्हें विपक्ष में बैठना पड़ा था. उधर, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के खाते विधानसभा की 17 सीटें आई थीं जिसके बाद प्रेम सिंह तमांग वहां के मुख्यमंत्री बने थे।

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