गठबंधन फॉर्मूले में एनसीपी को मिला है डिप्टी सीएम पद, शरद पवार के इस बयान के बाद बदला पूरा गणित

Update: 2019-12-05 04:53 GMT

महाराष्ट्र में लंबी जद्दोजहद और फुल सियासी ड्रामे के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन की सरकार तो बन गई, लेकिन अब बंटवारे पर बयानबाजी भी शुरू हो गई है. तीनों दलों को साथ लाने में सबसे बड़े किंगमेकर की भूमिका में उभरे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष शरद पवार ने मंत्रालयों के बंटवारे पर बयान देकर मामले को ट्विस्ट दे दिया है।  

बीते दिनों शरद पवार ने बयान दिया कि महाराष्ट्र को लेकर उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात हुई थी लेकिन उन्होंने ऑफर ठुकरा दिया. दिल्ली में दिए गए इस बयान के बाद शरद पवार ने महाराष्ट्र की राजनीति को साधा और ना कहते हुए भी अपने सहयोगियों पर दबाव बना दिया. इसका नतीजा भी 24 घंटे के अंदर सामने आ गया, क्योंकि महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल के फॉर्मूले में एनसीपी ने अगुवाई ले ली है।

महाराष्ट्र में शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी को एकसाथ मिलाने के पीछे सबसे बड़ी भूमिका शरद पवार की ही रही है. लेकिन जब महाराष्ट्र में सत्ता के बंटवारे पर उनसे सवाल हुआ तो उन्होंने कहा कि शिवसेना के पास मुख्यमंत्री है जबकि कांग्रेस के पास स्पीकर है. लेकिन मेरी पार्टी को क्या मिला. डिप्टी सीएम के पास कोई अधिकार नहीं होता. गौरतलब है कि संविधान के अनुसार डिप्टी सीएम का कोई पद नहीं होता है, यह सिर्फ एक कैबिनेट मंत्री के बराबर ही होता है.

शरद पवार का ये बयान जैसे ही सामने आया तो महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल तेज हुई. राजनीतिक गलियारों में बात ये भी हुई कि शरद पवार अपने सहयोगियों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, इसको लेकर साफ तौर पर कुछ नहीं कहा. लेकिन बुधवार शाम होते-होते महाराष्ट्र से नया फॉर्मूला सामने आया कि अब मंत्रिमंडल में एनसीपी को सबसे ज्यादा जगह मिली है।

नए फॉर्मूले के अनुसार, महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में एनसीपी को 16, शिवसेना को 15 और कांग्रेस को 12 मंत्रालय मिले हैं. अगर विधानसभा सीटों के हिसाब से देखें तो कांग्रेस के पास 44, एनसीपी के पास 54 और शिवसेना के पास 56 विधायक हैं. इससे पहले सत्ता के बंटवारे के अनुसार, शिवसेना को मुख्यमंत्री पद, कांग्रेस को स्पीकर और एनसीपी को डिप्टी सीएम का पद मिला था.

अपने इंटरव्यू में शरद पवार ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से उन्हें महाराष्ट्र में साथ आने का न्योता दिया गया था, इसके अलावा सुप्रिया सुले के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह की बात कही गई थी. फिर भी शरद पवार ने महाराष्ट्र के लिए प्रधानमंत्री के ऑफर को ठुकरा दिया, ऐसे में चर्चा इस बात पर भी है कि शरद पवार ने अपने इस बयान से सहयोगियों को साफ संदेश दे दिया है कि वह एक बड़ा त्याग कर महा अगाड़ी गठबंधन के साथ जुड़े हैं, ऐसे में सहयोगियों को उनके त्याग को समझना चाहिए.

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