राहुल गाँधी अब एक परिपक्व नेता के रूप में उभर रहे हैं. पिछले कुछ सालो में उनमें एक मेजर चेंज आया है वह कांग्रेस की घिसीपिटी लीक से हटकर सोचने की हिम्मत कर रहे हैं, और सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि वह उन दो मुद्दों पर बात करने से कतराते नही है जो किसी भी बड़े कांग्रेसी नेता के टैबू समझे जाते थे और वो दो मुद्दे हैं देश को लूटने वाले कारपोरेट ओर आरएसएस की विघटनकारी सोच.
जिस तरह से अम्बानी जैसे कारपोरेट के खिलाफ खुला मोर्चा ले रहे हैं. वह भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में कम देखने मे आता है. वक्त वक्त पर जिस तरह से उन्होंने आरएसएस की सोच को निशाने पर लिया है. यह बताता है कि उनमें चुनोतियाँ से सामने से लड़ने का साहस अब आ गया है.
There is only place for one NGO in India and it's called the RSS. Shut down all other NGOs. Jail all activists and shoot those that complain.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 28, 2018
Welcome to the new India. #BhimaKoregaon
आज उन्होंने जो 5 सामाजिक कार्यकर्ताओ की गिरफ्तारी पर जो ट्वीट किया है. वह वाकई तारीफ के काबिल है. क्योंकि अन्य किसी भी पार्टी के चाहे वह समाजवादी हो या चाहे अम्बेडकर वाद की झंडाबरदार बीएसपी, या अन्य ही कोई दल हो किसी ने इस अघोषित आपातकाल की चेतावनी पर काम धरना जरूरी नही समझा.
लेखक गिरीश मालवीय के अपने विचार
उन्होंने कहा है कि 'भारत में सिर्फ एक एनजीओ के लिए जगह है और इसका नाम आरएसएस है. बाकी सभी एनजीओ बंद कर दो. सभी एक्टिविस्टों को जेल में भेज दो और जो लोग शिक़ायत करें उन्हें गोली मार दो. न्यू इंडिया में आपका स्वागत है.'
यह एक स्पष्ट सोच को दर्शाता है लेकिन अब भी उन्हें एक लंबा सफर तय करना है उन्हें भारत के आम जन मन से जुड़ना उनकी वास्तविक तकलीफों को समझना अभी बाकी है, लेकिन फिर भी अब वह एक 'विकल्प' के रूप में सामने आ रहे हैं और यह तारीफेकाबिल बात है