मथुरा में चढ़ने लगा होली का रंग ...मथुरा के बरसाना की लट्ठमार होली क्यों चर्चित है? जानें

लट्ठमार होली खेलने की शुरुआत भगवान कृष्ण और राधा के समय से हुई. मान्यता है कि भगवान कृष्ण अपने सखाओं के साथ बरसाने होली खेलने पहुंच जाया करते थे.

Update: 2020-02-18 08:27 GMT

मथुरा। बसंत पंचमी पर मंदिरों की नगरी में बसंत पंचमी पर इंद्रधुनषी छटा दिखाई दी. ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में ठाकुरजी की ओर से उड़ाए गए प्रसादी अबीर गुलाल के साथ ब्रज में 40 दिन के होली महोत्सव की शुरुआत हो गई। प्रेम रंग में रसे रचे होली के रंग में सराबोर ब्रज में एक से बढ़कर एक आयोजन होंगे. बरसाने और नंदगांव की लठामार होली के साथ ही गोकुल की छड़ीमार होली और श्रीकृष्ण जन्मस्थान की फूलों की होली देखने के लिए लाखों लोग देश विदेश से ब्रज में पधारते हैं. ब्रज में होली के आयोजन की भव्य तैयारियां परवान चढ़ रही हैं. बरसाने से लेकर मथुरा और गोकुल तक होली के रंग दिखने लगे हैं।

जिले में ढाल और लाठियों से खेली जानी वाली बरसाना की अद्भुत लट्ठमार होली एक बार फिर पर्यटन का विशेष आकर्षण बनने जा रही है। बरसाना की लट्ठमार होली को राजकीय मेले का दर्जा दिए जाने के बाद यूपी सरकार आगामी 4 मार्च को इसके आयोजन के लिए व्यापक तैयारियां कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बरसाना की लट्ठमार होली का शुभारंभ करेंगे। बरसाना और नन्दगांव की लट्ठमार होली सहित ब्रज के सभी होली कार्यक्रमों की तैयारियां युद्धस्तर पर की जा रही हैं।

4 मार्च को लट्ठमार होली के आयोजन पर मुख्यमंत्री योगी मथुरा आ रहे हैं। चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था की जा रही है। पूरे मेला परिसर पर सीसीटीवी से नजर रखी जाएगी। पूरा इलाका ड्रोन कैमरों की मदद से पुलिस की निगरानी में रहेगा।

लट्ठमार होली खेलने की शुरुआत 

लट्ठमार होली खेलने की शुरुआत भगवान कृष्ण और राधा के समय से हुई. मान्यता है कि भगवान कृष्ण अपने सखाओं के साथ बरसाने होली खेलने पहुंच जाया करते थे. कृष्ण और उनके सखा यहां राधा और उनकी सखियों के साथ ठिठोली किया करते थे, जिस बात से रुष्ट होकर राधा और उनकी सभी सखियां ग्वालों पर डंडे बरसाया करती थीं. लाठियों के इस वार से बचने के लिए कृष्ण और उनके दोस्त ढालों और लाठी का प्रयोग करते थे. प्रेम के साथ होली खेलने का ये तरीका धीरे-धीरे परंपरा बन गया।

इसी वजह से हर साल होली के दौरान बरसाना और वृंदावन में लट्ठमार होली खेली जाती है. पहले वृंदावनवासी कमर पर फेंटा लगाए बरसाना की महिलाएं के साथ होली खेलने पहुंचते हैं. फिर अगले दिन बरसानावासी वृंदावन की महिलाओं के संग होली खेलने जाते हैं.

ये होली बरसाना और वृंदावन के मंदिरों में खेली जाती है. लेकिन खास बात ये औरतें अपने गांवों के पुरूषों पर लाठियां नहीं बरसातीं. वहीं, बाकी आसपास खड़े लोग बीच-बीच में रंग ज़रूर उड़ाते हैं. लट्ठमार होली खेल रहे इन पुरुषों को होरियारे भी कहा जाता है और महिलाओं को हुरियारिनें.

ये हैं ब्रज में होली के प्रमुख आयोजन

27 फरवरी 2020 रमणरेती आश्रम महावन पर टेसू फूल, केसर गुलाल होली.

03 मार्च: लड्डू होली बरसाना.

04 मार्च: बरसाना लट्ठमार होली.05 मार्च: नन्दगाँव लट्ठमार होली.

05 मार्च 2020 गांव रावल में लठामार / रंग होली.

06 मार्च 2020 श्रीकृष्ण जन्मस्थान की सांस्कृतिक/ फूलों की होली.

06 मार्च 2020 बांकेबिहारी मंदिर की होली.

07 मार्च 2020 गोकुल में छड़ीमार होली.

09 मार्च 2020 फालैन में जलती हुई होली से पंडा निकलेगा.

09 मार्च 2020 श्रीद्वारिकाधीश मंदिर से होली डोला का नगर भ्रमण.

10 मार्च 2020 श्रीद्वारिकाधीश मंदिर में टेसू फूल / अबीर गुलाल होली

10 मार्च 2020 संपूर्ण जनपद मथुरा में अबीर-गुलाल / रंग होली.

11 मार्च 2020 बलदेव में दाऊजी का हुरंगा.

11 मार्च 2020 गांव मुखराई में चरकुला नृत्य/सांस्कृतिक कार्यक्रम.

11 मार्च 2020 गांव जाब (नंदगांव) में हुरंगा.

12 मार्च 2020 गांव बठैन गिडोह में हुरंगा.

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