सारी जमीन प्राइवेट सेक्टर को देने की तैयारी-उमा

Update: 2021-09-22 02:46 GMT
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भोपाल।पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की फायर ब्रांड नेता उमा भारती अब राजनीति में नई पारी खेलने की तैयारी कर रही हैं।अब उनका इरादा ओबीसी वर्ग के लोगों को एकजुट करने का है।वे चाहती हैं कि ओबीसी के लोग कर्नाटक के लिंगायत समाज का अनुसरण करें।उसके रास्ते पर चलकर उसी की तरह राजनीतिक ताकत हासिल करें।उनका यहां तक दावा है कि सरकार ने देश की सारी जमीन प्राइवेट सेक्टर को देने की तैयारी कर ली है।अब सबसे बड़ी जरूरत प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की है।

उल्लेखनीय है कि उमा का एक वीडियो सामने आया है।उस वीडियो में वह कह रही हैं कि ब्यूरोक्रेसी कुछ नही होती है।वह तो हमारी चप्पल उठाती है।दरअसल करते तो सब नेता हैं।

यह वीडियो शनिवार को भोपाल में उनके घर पर रिकॉर्ड किया गया था।उन्होंने यह बात ओबीसी वर्ग के लोगों से मुलाकात के दौरान कही थी!इस मुलाकात के दौरान उन्होंने अपने समाज के लोगों के बीच खुलकर बात की थी।अगर उमा भारती की बातों का भरोसा किया जाय तो कई सवाल सामने आ रहे हैं।

इस बातचीत के दौरान सिर्फ ब्यूरोक्रेसी से जुड़े एक मुद्दे पर हंगामा हुआ।उमा भारती उस पर माफी मांग कर आगे बढ़ गईं।लेकिन उन्होंने बहुत कुछ ऐसा कहा है जो केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहा है।उनकी बात से यह भी साफ हो रहा है कि देश के पिछड़े वर्ग के नेता इस समय जाति आधारित जनगणना को लेकर क्या सोच रहे हैं।

औऱ यह भी संकेत मिल रहा है कि आखिर केंद्र सरकार किसानों की मांगे क्यों नही मांग रही है।

दरअसल अपने लोगों के बीच उमा भारती ने साफ साफ बात की है।जिन लोगों से वह बात कर रही थीं वे उनसे जाति आधारित जनगणना पर उनका मत जानना चाह रहे थे।इस बात पर उमा भारती ने वह सब कहा जिस पर हंगामा हुआ।लेकिन असल बात पर किसी ने ध्यान नही दिया।

उमा ने कहा-पहले आप एक हो।एक देवता की पूजा करो!एक पूजा विधि अपनाओ!आपस में रोटी-बेटी का सम्बंध बनाओ! उन्होंने कर्नाटक के लिंगायत समाज का उदाहरण भी दिया।उमा कहती हैं-उनकी एकता का ही परिणाम है कि वहां लिंगायत समाज की मर्जी के बिना मुख्यमंत्री नही बन सकता।उमा के मुताविक इस मुद्दे पर शरद यादव उनसे सहमत हैं।नीतीश कुमार भी मान रहे हैं।

ओबीसी आरक्षण के सवाल पर वह कहती हैं-आरक्षण में धरा क्या है।सब कुछ तो प्राइवेट सेक्टर को सौंप दिया है।सारी जमीन प्राइवेट सेक्टर को देने की तैयारी हो गयी है।जब तक प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण नही मिलेगा तब तक कुछ नही होने वाला।जब तक एकजुट नही होगे।ताकत नही दिखेगी तब तक कुछ नही होगा।ऐसे ही ज्ञापन देते रहोगे।

उमा ने लोगों से यह भी कहा कि सब एक हो जाएंगे तब वह भी जाति आधारित जनगणना की बात का समर्थन करेंगी।

इसी क्रम में उन्होने कहा था-ब्यूरोक्रेसी कुछ नही करती!वह तो हमारे हुकुम का पालन करती है।हमारी चप्पल उठाती है ब्यूरोक्रेसी! जो करते हैं वह नेता ही करते हैं।

उमा भारती की इस पूरी बातचीत का वीडियो मौजूद है।लेकिन मीडिया ने सिर्फ एक बात उठायी।उमा भारती ने भी अपने शब्दों के चयन पर खेद जताया और गंगा यात्रा पर निकल गईं।

लेकिन उन्होंने बहुत बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।सवाल है कि क्या केंद्र सरकार देश की जमीनें प्राइवेट सेक्टर को सौंपने की तैयारी कर चुकी है।क्या इसी बजह से वह देश के लाखों किसानों के आंदोलन को वह अनदेखा कर रही है।क्या सच में ऐसे हालात बन गए हैं कि अब देश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण का कोई महत्व ही नही रह गया है।क्योंकि नौकरियां ही खत्म की जा रही हैं।

हालांकि उनके अस्थिर स्वभाव के चलते उन्हें कोई गम्भीरता से नही ले रहा है लेकिन 11 साल तक केंद्र में मंत्री और राज्य में मुख्यमंत्री रही उमा भारती की बातों को हवा में नही उड़ाया जा सकता है।

कांग्रेस ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछा है।मध्यप्रदेश कांग्रेस के महासचिव राजीव सिंह ने कहा है कि मोदी जी यह बताएं कि प्राइवेट सेक्टर को लेकर उमा भारती जी ने जो कहा है वह कितना सच है।क्योंकि अगर देश की जमीन प्राइवेट सेक्टर को देने की तैयारी हो गयी है तो यह बहुत ही गम्भीर बात है।सरकारी संपत्ति बेच रही केंद्र सरकार को देश को यह बताना चाहिये कि असलियत क्या है।वैसे किसान आंदोलन के प्रति केंद्र का जो रूख है उससे यह तो साफ है उमा भारती ने जो कहा है वह सच है।अब भाजपा और केंद्र सरकार को देश को सच बताना चाहिये। 

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