राजस्थान के अंतेला में सुनील कुमार आईपीएस की शादी में ADM SDM और पुलिस फ़ोर्स लगानी पड़ी। सुनील कार से भी जा सकते थे लेकिन जब जाति के कारण किसी को घोड़ी चढ़ने से रोका जाये तो ऐसा करना ज़रूरी है। जाति को लेकर उच्च जातियों में कितनी नफ़रत अब भी बची है कि एक IPS को भी इसे भुगतना पड़ रहा है।
यह कोई अकेली घटना नहीं है। मध्य प्रदेश के दमोह में ओबीसी लड़का जब दलित लड़की से शादी करने गया तो पुलिस की सुरक्षा में घोड़ी चढ़ना पड़ा। इस मिथ्या श्रेष्ठतावाद का अंत कहीं पर है भी या यह हमारा स्थायी भाव बनता जा रहा है?
समतावादी समाज और संविधान की हलफ उठाते हमारी जमात के लिये यह सब शर्मनाक है। सुनील बिना दहेज शादी कर रहे हैं। एक उच्च सरकारी पद पाकर भी इस श्रेष्ठतावाद की बेड़ियों से जूझ रहे वे, नौकरी में क्या खुद को इस अभिशाप की याद से मुक्त रख पाएंगे ?