जम्‍मू कश्‍मीर में 48 घंटे चले सेना के बड़े अभियान के बाद मिले दो शहीद सैनिकों के शव, अब तक 9 जवान शहीद

दो जवानों की मौत के साथ ही पुंछ के सुरनकोट वन में सोमवार से शुरू हुए अभियान में अब तक नौ जवान शहीद हो चुके हैं।

Update: 2021-10-16 17:18 GMT

जम्मू-कश्मीर में सेना के सात जवानों की हत्या करने में शामिल आतंकवादियों का पता लगाने के लिए पुंछ और राजौरी जिलों के वन्य क्षेत्रों में चलाया जा रहा सघन तलाशी अभियान शनिवार को छठे दिन भी जारी है और इस दौरान एक जूनियर कमीशन अधिकारी (जेसीओ) समेत दो जवान शहीद हो गए। दो जवानों की मौत के साथ ही पुंछ के सुरनकोट वन में सोमवार से शुरू हुए अभियान में अब तक नौ जवान शहीद हो चुके हैं। बाद में यह अभियान पुंछ के मेंढर और राजौरी के थानामंडी तक फैल गया।

अधिकारियों ने बताया कि एक जेसीओ और एक जवान का शव मेंढर के नार खास वन क्षेत्र में उस स्थान के पास से मिले जहां बृहस्पतिवार को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ हुई थी। इस दौरान जान गंवाने वाले जवानों की संख्या अब बढ़कर चार हो गई है। इससे पहले राइफलमैन विक्रम सिंह नेगी और योगंबर सिंह की नार खास वन में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद होने की पुष्टि हुई थी। नेगी और सिंह दोनों उत्तराखंड के थे।

अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले 11 अक्टूबर को एक जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) समेत सेना के पांच जवान उस वक्त शहीद हो गए जब आतंकवादियों ने पुंछ के सुरनकोट वन में सेना के एक गश्ती दल पर हमला कर दिया था। उसी दिन राजौरी के थानामंडी जंगल में फरार आतंकवादियों और सेना के तलाश दल के बीच मुठभेड़ हुई थी। अधिकारियों ने बताया कि मेंढर से थानामंडी तक के पूरे वन क्षेत्र की कड़ी घेराबंदी कर दी गयी है और आतंकवादियों का पता लगाने के लिए व्यापक तलाश अभियान चलाया गया है। आतंकवादी घेराबंदी से बचने की कोशिश में एक जगह से दूसरी जगह जा रहे हैं।

राजौरी-पुंछ रेंज के पुलिस उप महानिरीक्षक विवेक गुप्ता ने मंगलवार को बताया था कि पुंछ में सुरक्षाबलों पर हमले में शामिल आतंकवादी पिछले दो से तीन महीनों से इलाके में मौजूद थे। जम्मू क्षेत्र के राजौरी और पुंछ क्षेत्रों में इस साल जून के बाद से घुसपैठ की कोशिशें बढ़ गयी है। अलग-अलग मुठभेड़ों में नौ आतंकवादी मारे जा चुके हैं। इस बीच, एक रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि राइफलमैन नेगी और सिंह के पार्थिव शरीर शनिवार सुबह विमान से उत्तराखंड ले जाए गए। हवाईअड्डे से जवानों का पार्थिव शरीर सड़क मार्ग से उनके गृह नगर ले जाए जाएंगे और पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।

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