बेरोजगारी भारत की एक बड़ी समस्या

Update: 2022-02-28 07:48 GMT



भारत जैसे विकासशील देश में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है, बेरोजगारी के आंकड़े दिन ब दिन बढ़ते ही जा रहे हैं, अब बेरोजगारी इतना विकराल और भयावह रूप धारण कर चुका है कि इसका सामना करना हमारे लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है उन लाखों युवाओं के लिए कोई रोजगार नहीं है , जो हर साल शिक्षण संस्थानों में से पढ़कर बाहर हो रहे हैं। हमारी सरकार और योजनाकारों के सामने बेरोजगारी एक गंभीर चुनौती है। बेरोजगारी का राष्ट्रीय संकट भारत की एक बड़ी आबादी को विशेष रूप से युवा पीढ़ी को प्रभावित करता है।वर्षो से हमारी शिक्षा–व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। हमारी यह शिक्षा प्रणाली सिर्फ डिग्रीयां तक ही सीमित है।

उच्च शिक्षा प्राप्त होने के बाद भी योग्यता के अनुसार नौकरी नहीं मिल पाती है। पूंजी की कमी, निवेश की कमी, कम उत्पादन, व्यापार चक्र में गिरावट, उद्योगों की अव्यवस्था, प्रौद्योगिकी का उपयोग आदि जैसे कारक बेरोजगारी के मूल कारण हैं।युवाओं में बढ़ता आक्रोश चोरी, डकैती, हिंसा, अपराध और आत्महत्या जैसे अपराध करने पर मजबूर कर देता है। बेरोजगारी निराशा और असंतोष का कारण बनती है। यह सनक को जन्म देती है और विनाशकारी दिशाओं में युवाओं की ऊर्जा को नष्ट कर देता है। बेरोजगारी के कारण मानसिक स्थिति से बचने के लिए युवा अब ड्रग्स और शराब की बुरी आदतों से ग्रस्त हैं और समाज में चोरी, छीनैती की घटनाएं भी बढ़ी हैं।

हकीकत तो यह भी है कि वर्तमान सरकार में बेरोजगारी को दूर करने की कोई रुचि भी दिखाई नहीं देती है। पहले जहां संसाधनों की इतनी उपलब्धता नहीं थी, जनता पर आज के जैसे टैक्स नहीं लगे थे, महंगाई कम थी बावजूद इसके नौकरियों की भरमार थी, तो आज का समय इसके बिल्कुल विपरीत है, आज आम आदमी महंगाई के बोझ तले दबा हुआ है, रोजमर्रा के सामानों पर टैक्स बढ़ा दिए गए हैं, संसाधनों की प्रचुरता है, बावजूद इसके नौकरियों की भारी कमी है, ऐसा क्यों ? क्या सरकार कोई ऐसी पॉलिसी नहीं बना सकती जिससे प्रत्येक परिवार में कम से कम एक युवा को नौकरी मिल सके और उसका परिवार समुचित तरीके से जीवन यापन कर सके।

सत्यपाल सिंह कौशिक


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