पितृ पक्ष में कौवों को भोजन कराने का क्या महत्व होता है

Update: 2022-09-08 04:56 GMT

हिंदू धर्म में पितृपक्ष का काफी महत्व होता है, इस साल पितृपक्ष 10 सितंबर 2022 से 25 सितंबर 2022 तक चलेगा, पितृ पक्ष में पित्तरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है, इसके साथ ही इस दिन कौवों को भी भोजन कराया जाता है, इस दिन कौवों को भोजन कराना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है पितृपक्ष में पित्तरों का श्राद्ध और तर्पण करना जरूरी माना जाता है, यदि कोई व्यक्ति ऐसा नहीं करता तो उसे पित्तरों का श्राप लगता है, लेकिन शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध करने के बाद जितना जरूरी भांजे और ब्राह्मण को भोजन कराना होता है, उतना ही जरूरी कौवों को भोजन कराना होता है, माना जाता है कि कौवे इस समय में हमारे पित्तरों का रूप धारण करके पृथ्वीं पर उपस्थित रहते हैं

इसके पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी है जो कि इस प्रकार है ऐसी मान्यता है कि एक इन्द्र के पुत्र जयन्त ने ही सबसे पहले कौवे का रूप धारण किया था, यह कथा त्रेतायुग की है, जब भगवान श्रीराम जी ने अवतार लिया और जयंत ने कौए का रूप धारण कर माता सीता के पैर में चोंच मारा था, तब भगवान श्रीराम चंद्र जी ने तिनके का बाण चलाकर जयंत की आंख फोड़ दी थी, जब उसने अपने किए की माफी मांगी, तब श्री राम भगवान ने उसे यह वरदान दिया कि तुम्हें अर्पित किया भोजन पितरों को मिलेगा, तभी से श्राद्ध में कौवों को भोजन कराने की परंपरा चली आ रही है, यही कारण है कि श्राद्ध पक्ष में कौवों को ही पहले भोजन कराया जाता है.!

इस समय में कौवों को न तो मारा जाता है और न हीं किसी भी रूप से सताया जाता है, यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उसे पित्तरों के श्राप के साथ- साथ अन्य देवी देवताओं के क्रोध का भी सामना करना पड़ता है और उन्हें जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार की कोई सुख और शांति प्राप्ति नहीं होती है।

पितर पक्ष के समय बली जरूर निकाले !

1. चींटी,

2. गाय,

3.कौआ,

4. कुत्ता,

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