मीडिया मैनेजमेंट और आईटी सेल के सहारे आप जनता को धोखा दे सकते हैं,चुनाव जीत सकते हैं, लेकिन देश नहीं चला सकते हैं

Update: 2021-10-16 10:59 GMT

संतोष कुमार सिंह 

चीन सर पर बैठा है,बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान जो कुछ भी हुआ है आज तक कभी नहीं हुआ था, कश्मीर एक बार फिर आंख दिखाने लगा है ,अफगानिस्तान में जो कुछ हो रहा है शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर छुपाने से समस्या का हल नहीं निकल जाएगा।

हालात यह है कि कोई भी पड़ोसी देश हमलोगों के साथ खड़ा नहीं है श्रीलंका ,नेपाल और बांग्लादेश जो हमेशा हमारे साथ खड़ा रहा है आज सारे के सारे दूर हो गये हैं पाकिस्तान और अफगानिस्तान का कुछ कहना ही नहीं है ।

देश के अंदर के हालात की बात करे तो सीएए, एनआरसी के कारण पहले से ही देश अंदर से उबल रहा है रहा सहा कसर कोरोना को एक खास मजहब से जोड़ने के कारण जो बबेला मचा था उस त्रासदी से अभी भी हिंदुस्तान परस्त मजहबी बाहर नहीं निकल पाये हैं।

फिर किसान आंदोलन और इसके अलावे जिस तरीके से विपरीत विचारधाराओं वालो के साथ सीबीआई ,दिल्ली पुलिस और ईडी का इस्तेमाल हो रहा है उससे एक अलग तरह का आक्रोश देश के अंदर मौजूद है ।फिर जिस तरीके से देश के अंदर मुसलमानों के साथ भेदभाव होता दिख रहा उससे एक अलग तरह की समस्या उत्पन्न हो रही है, शाहरुख खान के बेटा के साथ जिस तरीके से सिस्टम सक्रियता दिखा रही है उतनी ही सक्रियता मुंद्रा पोर्ट से भारी मात्रा में बरामद अफगानी हेरोइन मामले में दिखा रही है ऐसे में मुसलमानों के अंदर अलग भाव पैदा होना स्वभाविक नहीं है ।

विदेश नीति की बात करे तो आज ना तो हमारे साथ अमेरिका खड़ा है ना ही रुस खड़ा है ।एक भी ऐसा देश नहीं है जो हमारे साथ मजबूती के साथ खड़ा हो ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है। यू कहे तो देश चारों और से घिरता जा रहा है।

वजह खुद शासक वर्ग है जो किसी भी मसले को बस छू कर लाभ उठाकर सत्ता पर काबिज रहना चाहता है इस तरह के नीति का दूरगामी प्रभाव बहुत बुरा होता है।गौर करिए शुरुआत गौ हत्या और लव जिहाद से हुआ बस छू दिए और उसका लाभ चुनाव में लिए लेकिन कोई ठोस नीति नहीं बना पाये ,फिर सीएए, एनआरसी का मसला आया बस छू दिये उससे जो राजनीतिक फायदा हो सकता है उसको उठाया और चल दिये।

कोरोना काल में अपनी विफलता छुपाने के लिए जिस तरीके से एक खास मजहब को टारगेट किया गया हुआ क्या बस अपनी विफलता छुपा कर आगे बढ़ गये।

मौलाना साद की अभी तक तो गिरफ्तारी नहीं हुई है ।

इसी तरह किसान आन्दोलन को ले बात नहीं करेंगे बबाल होता रहे ,पाकिस्तान में आये दिन हिन्दुओं पर हमला हो रहा है कभी कोई हार्ड स्टेप लिया सरकार ने ।

अफगानिस्तान को लेकर क्या सरकार की क्या सोच है स्पष्ट है क्या कल बांग्लादेश में जो कुछ भी हुआ है सरकार के तरफ से अभी तक क्या कार्रवाई हुई है ।

कही किसी ईसाई के साथ ऐसा होता है तो यूरोपीय देश छुआ छुई खेलता है क्या।ये जो छू कर भागने की जो प्रवृति चल रहा है इससे देश को बड़ा नुकसान हो रहा है क्यों कि जब कभी भी किसी भी देश की सरकार अनिर्णय की स्थिति में दिखता है तो कई तरह की आंतरिक और बाहरी समस्या खड़ी होने लगती है और फिर देश सम्भालना मुश्किल हो जाता है।

किसान आन्दोलन को सरकार गलत मानती है तो कुचल दीजिए जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करना है तो कर दीजिए ,सीएए, एनआरसी लागू करना है कर दीजिए कैसे कश्मीर में रातो रात धारा 370 खत्म कर दिए ।

निर्णय लीजिए और उसके परिणाम को स्वीकार करिए देश की जनता ने आपको वोट देकर चुना है आपके फैसले से जो भी लाभ और नुकसान होगा देश भुगतने को तैयार है।

लेकिन छुआ छुई बंद होनी चाहिए इससे होना जाना कुछ नहीं है नुकसान उतना ही बड़ा हो रहा है ये मत सोचिए कि 2024 का आधार तैयार कर रहे हैं इस तरह के खेल में कभी कभी दाव उलटा भी पड़ जाता है।

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